हरिगोपाल सन्नू हर्ष की कलाकृति |
देखता हूँ अंधेरे में अंधेरा
लाल रोशनी न होने का अंधेरा
नीली रोशनी न होने के अंधेरे से
अलग होता है
इसी तरह अंधेरा
अंधेरे से अलग होता है।
अंधेरे को दोस्त बना लेना आसान है
उसे अपने पक्ष में भी किया जा सकता है
सिर्फ़ उसपर भरोसा नहीं किया जा सकता।
भरोसा रोशनी पर तो हरगिज़ नहीं
हरी चीज़े लाल रोशनी में
काली नज़र आती हैं
दरअसल चीज़ें
खुद कुछ कम शातिर नहीं होतीं
वे उन रंगों की नहीं दिखतीं
जिन्हें सोख लेती हैं
बल्कि उन रंगों की दिखाई देती हैं
जिन्हें लौटा रही होती हैं
वे हमेशा
अपनी अस्वीकृति के रंग ही दिखाती हैं
औरों की क्या कहूँ
मेरी बायीं आँख ही देखती है कुछ और
दायीं कुछ और देखती है
बायाँ पाँव जाता है कहीं और
दायाँ, कहीं और जाता है
पास आओ दोस्तों अलग करें
सन्नाटे को सन्नाटे से
अंधेरे को अंधेरे से और
नरेश को नरेश से।
भूख
भूख सबसे पहले दिमाग खाती है
उसके बाद आंखें
फिर जिस्म में बाकी बची चीजों को
छोड़ती कुछ भी नही है भूख
वह रिश्तों को खाती है
मां का हो बहन या बच्चों का
बच्चे तो बेहद पसंद है उसे
जिन्हें वह सबसे पहले
और बड़ी तेजी से खाती है
बच्चों के बाद
फिर बचता ही क्या है ।
दीमक
दीमकों को
पढ़ना नही आता
वे चाट जाती है
पूरी
किताब ।
ये लोग
तूफ़ान आया था
कुछ पेड़ों के पत्ते टूट गए है
कुछ की डालें
और कुछ तो जड़ से ही
उखड़ गये है
इनमें से सिर्फ
कुछ ही भाग्यशाली ऐसे बचे है
जिनका यह तूफ़ान
कुछ भी नही बिगड़ पाया
ये लोग ठूंठ थे ।
अच्छे बच्चे
कुछ बच्चे बहुत अच्छे होते है
वे गेंद और गुब्बारे नहीं मांगते
मिठाई नहीं मांगते जिद नही करते
और मचलते तो है ही नहीं
बड़ों का कहना मानते है
वे छोटों का भी कहना मानते है
इतने अच्छे होते है
इतने अच्छे बच्चों की
तलाश में रहते है हम
और मिलते ही उन्हें ले आते है घर
अक्सर
तीस रुपये महीने और खाने पर ।
नरेश सक्सेना
- जन्म-16 जनवरी 1939, ग्वालियर (मध्य प्रदेश)
- शिक्षा-एम. ई।
- विधाएँ-कविता, नाटक, पटकथा लेखन, फिल्म निर्देशन
- मुख्य कृतियाँ-कविता संग्रह : समुद्र पर हो रही है बारिश, सुनो चारुशीला
- नाटक-आदमी का आ
- पटकथा लेखन-हर क्षण विदा है, दसवीं दौड़, जौनसार बावर, रसखान, एक हती मनू (बुंदेली)
- फिल्म निर्देशन-संबंध, जल से ज्योति, समाधान, नन्हें कदम (सभी लघु फिल्में)
- सम्मान-पहल सम्मान, राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार (1992), हिंदी साहित्य सम्मेलन का सम्मान, शमशेर सम्मान
- संपर्क-2/5, विवेक खंड, गोमतीनगर, लखनऊ - 226010 (उत्तर प्रदेश)
- फोन-08090222200, 09450390241
- ई-मेल-nareshsaxena68@gmail.com
बहुत ही सारगर्भित कविताएँ पढ़ने को मिली , धन्यवाद सन्नू जी को भी जिनके माध्यम से यह सौभाग्य मिला|
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (05-07-2017) को "गोल-गोल है दुनिया सारी" (चर्चा अंक-2656) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'