चित्र गूगल सर्च इंजन से साभार |
मिथ्या है अभिमान..
देख जरा मजदूर को, कैसा है बदहाल।
खाने को तरसे सदा,रोटी,चावल,दाल।।
राजनीति भरमा रही, नेता मालामाल।
भूखी जनता चाहती, रोटी,चावल,दाल।।
कहाँ गई अमराइयाँ, कहाँ गए घन घोर।
सूखा ही सूखा दिखे, क्यों नाचे मन-मोर।।
चहूँ ओर हैं दीखते, हरियाली के चोर।
दिख पाएगा कब तलक,यह वनवासी मोर।।
छूटेगा तन एक दिन, होगा काल प्रहार।
झूठा मत अभिमान कर,मेरे प्यारे यार।।
क्यों करता है रात-दिन, मिथ्या है अभिमान।
भीलन लूटी गोपिका, निष्फल अर्जुन बान।।
चार दिनों की चाँदनी, मान सके तो मान।
फिर गहरा अँधियार लख,मत कर तू अभिमान।।
क्यों खोजूँ गिरि कन्दरा, क्यों यमुना के तीर।
मुझको तो कान्हा दिखे,सदा पराई पीर।।
जब पड़ता है काम तो, दुनिया से मुख मोड़।
गर्दभ का आदर करें, बाप कहें, कर जोड़।।
जीवन अब कैसे बचे,दिल में उठती हूक।
जगह-जगह रहजन खड़े, लिए हाथ बन्दूक।।
डा. मधुर बिहारी गोस्वामी
- जन्मतिथि-25 फरवरी-1953
- शिक्षा-एम.ए.पी-एच.डी.
- पद-सेवानिवृत्त एसोसिएट प्रोफेसर, एस.बी.जे.महाविद्यालय,बिसावर (हाथरस)।
- लेखन-अनेक पत्रिकाओं में निबंध, दोहे आदि प्रकाशित। आकाशवाणी दिल्ली और मथुरा-वृन्दावन से अनेक वार्ताएँ प्रसारित। अनेक साहित्यिक गोष्ठियों में पत्र वाचन।
- संपर्क-34, बिहारीपुरा,वृंदावन (मथुरा)।
- मो.9719648204,8755846327
- ईमेल-madhurbihari0565@gmail.com
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चिरेक इंटरनेश्नल स्कूल की हिंदी विभाग अध्यक्ष डॉ. मंजु शर्मा को श्रीनाथद्वारा (हैदराबाद) में आयोजित विशाल सम्मान समारोह में श्रीनाथद्वारा साहित्य मंडल एवं केन्द्रीय हिंदी संस्थान के सयुंक्त तत्वावधान में ‘ललितशंकर दीक्षित स्मृति सम्मान’ से अलंकृत किया गया। यह सम्मान उन्हें दक्षिण भारत में रहकर हिंदी भाषा और साहित्य की उत्कृष्ट सेवा के लिए की विनोद बब्बर और डॉ. किशोर काबरा जैसे साहित्यकारों की उपस्थिति में डॉ. बीना शर्मा और श्याम जी देवपुरा ने प्रदान किया.सम्मान के अंतर्गत श्री फल,प्रमाण पत्र, अंगवस्त्र, मेवाती पगड़ी और नकद धन राशि शामिल है।
तीन दिन के इस समारोह में देशभरसे आए हिंदी सेवियों और साहित्यकारों ने भाग लिया जिनमेंडॉ. विजय प्रकाश त्रिपाठी (कानपुर), अवधेश शुक्ल( सीतापुर),डॉ सविता चड्ढा(दिल्ली) हेमराज मीणा, कल्पना गवली (बड़ोदरा)अमरेंद्र पत्रकार (लोकसभा चैनल) आदि के नाम प्रमुख हैं। कार्यक्रम के अंतर्गत कुल विचार स्त्र सम्पन्न हुए जिनमें हिंदी भाषा और साहित्य के विविध पक्षों और समस्याओं पर गहन मंथन हुआ. डॉ. मंजु शर्मा ने ‘दक्षिण में हिंदी की स्थिति’ पर अपना आलेख प्रस्तुत किया। उन्होंने यह सुझाव दिया कि दक्षिण में हिंदी की स्वीकार्यता को भावनात्मक स्तर पर बढ़ाने के लिए यह आवश्यक है कि हिंदी भाषी प्रान्तों में बच्चों को प्राथमिक स्तर से ही एक दक्षिण भारतीय भाषा की शिक्षा दी जाए.उनके इस प्रस्ताव का उपस्थित विद्वानों ने खुले मन से स्वागत किया।
चिरेक इंटरनेश्नल स्कूल कोंडापुर, हैदराबाद।
ईमेल-manju.samiksha@gmail.com
डॉ. मंजु शर्मा सारस्वत सम्मान से अलंकृत
चिरेक इंटरनेश्नल स्कूल की हिंदी विभाग अध्यक्ष डॉ. मंजु शर्मा को श्रीनाथद्वारा (हैदराबाद) में आयोजित विशाल सम्मान समारोह में श्रीनाथद्वारा साहित्य मंडल एवं केन्द्रीय हिंदी संस्थान के सयुंक्त तत्वावधान में ‘ललितशंकर दीक्षित स्मृति सम्मान’ से अलंकृत किया गया। यह सम्मान उन्हें दक्षिण भारत में रहकर हिंदी भाषा और साहित्य की उत्कृष्ट सेवा के लिए की विनोद बब्बर और डॉ. किशोर काबरा जैसे साहित्यकारों की उपस्थिति में डॉ. बीना शर्मा और श्याम जी देवपुरा ने प्रदान किया.सम्मान के अंतर्गत श्री फल,प्रमाण पत्र, अंगवस्त्र, मेवाती पगड़ी और नकद धन राशि शामिल है।
तीन दिन के इस समारोह में देशभरसे आए हिंदी सेवियों और साहित्यकारों ने भाग लिया जिनमेंडॉ. विजय प्रकाश त्रिपाठी (कानपुर), अवधेश शुक्ल( सीतापुर),डॉ सविता चड्ढा(दिल्ली) हेमराज मीणा, कल्पना गवली (बड़ोदरा)अमरेंद्र पत्रकार (लोकसभा चैनल) आदि के नाम प्रमुख हैं। कार्यक्रम के अंतर्गत कुल विचार स्त्र सम्पन्न हुए जिनमें हिंदी भाषा और साहित्य के विविध पक्षों और समस्याओं पर गहन मंथन हुआ. डॉ. मंजु शर्मा ने ‘दक्षिण में हिंदी की स्थिति’ पर अपना आलेख प्रस्तुत किया। उन्होंने यह सुझाव दिया कि दक्षिण में हिंदी की स्वीकार्यता को भावनात्मक स्तर पर बढ़ाने के लिए यह आवश्यक है कि हिंदी भाषी प्रान्तों में बच्चों को प्राथमिक स्तर से ही एक दक्षिण भारतीय भाषा की शिक्षा दी जाए.उनके इस प्रस्ताव का उपस्थित विद्वानों ने खुले मन से स्वागत किया।
प्रेषक-डॉ. मंजु शर्मा
विभागाध्यक्ष (हिंदी विभाग)चिरेक इंटरनेश्नल स्कूल कोंडापुर, हैदराबाद।
ईमेल-manju.samiksha@gmail.com
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (30-01-2019) को "वक्त की गति" (चर्चा अंक-3232) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
हार्दिक आभार मयंक जी..
हटाएंसुंदर रचना
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद दीपशिखा जी..
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