कमला कृति

मंगलवार, 1 जनवरी 2019

परिक्रमा: साहित्य यथार्थ की आलोचना करता है-ऋषभदेव शर्मा




                  एलूरु में दोदिवसीय त्रिभाषी अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन संपन्न


         साहित्य का मूल प्रयोजन लोक मंगल की साधना है, न कि मनोरंजन। समाज के लिए जो कुछ भी अशुभ और अमंगलकारी हो सकता है साहित्य उस यथार्थ की आलोचना करता है और मंगलकारी आदर्श की स्थापना करता है। इस दृष्टि से भारतीय भाषाओं का भक्ति आंदोलन, नवजागरण आंदोलन और स्वतंत्रता आंदोलन के समय का साहित्य पूरी तरह सुधारात्मक दृष्टिकोण से प्रेरित है। इसी प्रकार समकालीन विमर्शों का साहित्य भी कर्मक्षेत्र के सौंदर्य को सामने लाते हुए सामाजिक परिवर्तन के लिए दिशा प्रदान कर सकता है।"  

       ये विचार सर सी.आर. रेड्डी (स्वायत्त) महाविद्यालय एलूरु (आंध्र प्रदेश) में आयोजित संस्कृत, तेलुगु और हिंदी के द्विदिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के हिंदी केंद्रित विचार-विमर्श के बीज भाषण के दौरान दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा के पूर्व आचार्य डॉ. ऋषभदेव शर्मा ने प्रकट किए। उन्होंने हर्ष व्यक्त किया कि भयंकर मूल्य विघटन और उपभोक्ता संस्कृति से ग्रसित वर्तमान परिस्थितियों में इस प्रकार एक सार्थक सम्मेलन का आयोजन हो रहा है। उन्होंने कहा कि एक ठेठ तेलुगु प्रदेश में इतने बड़े पैमाने पर हिंदी में अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन होना अपूर्व है। भाषा और संस्कृति विभाग, आंध्र प्रदेश सरकार के सहयोग से विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा प्रायोजित तथा हिंदी, तेलुगु व संस्कृत विभागों के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में समाज पर भाषा एवं साहित्य के प्रभाव को लेकर कई महत्वपूर्ण चर्चाओं को स्थान मिला। आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, पांडिच्चेरी आदि राज्यों के साथ-साथ अमेरिका, इंग्लैंड, जर्मनी, कोरिया और जापान से आए विद्वानों, हिंदी सेवियों और छात्रों ने बड़ी संख्या में उपस्थित होकर इस सम्मेलन को सफल बनाया। 

      दक्षिण कोरिया से पधारे हिंदी लेखक और आलोचक डॉ. को जोंग किम ने कहा कि दक्षिण कोरिया और भारत के बीच बहुत प्राचीनकाल से अच्छे रिश्ते रहे हैं। उन्होंने हिंदी को भारतीय संस्कृति की संवाहक बताते हुए उसे ‘दिल की भाषा’ कहा। आंध्र प्रदेश के पूर्व सांसद और फिल्म विकास निगम के अध्यक्ष अंबिका कृष्ण ने अपने संबोधन में तेलुगु भाषा और साहित्य को संरक्षित करने की बता कही तथा उसके आंदोलनात्मक और सुधारवादी चरित्र पर प्रकाश डाला। हिंदी साहित्य संबंधी विचार सत्रों में समाज और भाषा के संबंध में आंध्र विश्वविद्यालय के प्रो. एन. सत्यनारायण, सैंट जोसेफ महिला महाविद्यालय की डॉ. पी.के.जयलक्ष्मी, नरसापुर के डॉ. कुमार नागेश्वर राव, तमिलनाडु केंद्रीय विश्वविद्यालय के आचार्य डॉ. एस.वी.एस.एस.नारायण राजु, कांचीपुरम विश्वविद्यालय के डॉ. दंडिबोट्ला नागेश्वर राव, नागार्जुन विश्वविद्यालय के डॉ. काकानि कृष्ण, मानु के डॉ. डी. शेषुबाबु, काकिनाडा के डॉ. पी. हरिराम प्रसाद तथा हैदराबाद की डॉ. पूर्णिमा शर्मा सहित अनेक विद्वानों और शोधार्थियों ने शोधपत्र प्रस्तुत किए।

      सर सी.आर.रेड्डी शैक्षिक संस्थाओं के अध्यक्ष श्री कोम्मारेड्डि राम बाबू, महाविद्यालय के कॉरस्पॉन्डन्ट एवं अन्य पदाधिकारियों ने समारोह में भाषा के महत्व पर अपनी राय जताई। समापन समारोह में प्रो. ऋषभदेव शर्मा ने तेलुगु में भाषण देकर श्रोताओं को अभिभूत कर दिया। सर सी.आर. रेड्डी (स्वायत्त) महाविद्यालय के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ.आर.एन.वी.एस.राजाराव और प्राध्यापक के.शैलजा ने अतिथियों का स्वागत और धन्यवाद किया। साथ ही सम्मेलन के दौरान ही शोधपत्रों का संग्रह प्रकाशित करके अपनी कार्य-दीक्षा और लगन का परिचय दिया। 


प्रस्तुति: डॉ. गुर्रमकोंडा नीरजा 


सह संपादक 'स्रवंति' 
सहायक आचार्य 
उच्च शिक्षा और शोध संस्थान
दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा
हैदराबाद - 500004

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             मिस्र में विश्व मैत्री मंच का नौवाँ अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन 



मिस्र की राजधानी कायरो स्थित  पिरामिड पार्क में अंतरराष्ट्रीय साहित्यिक संस्था विश्व मैत्री मंच का नौवाँ सम्मेलन पिछले दिनों डॉ सी. वी .रमन विश्वविद्यालय ,पटना के कुलाधिपति श्री विजय कांत वर्मा के मुख्य आतिथ्य एवं आगरा महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ सुषमा सिंह की अध्यक्षता में संपन्न हुआ।कार्य्क्रम के उद्घाटन सत्र में संस्था की अध्यक्ष संतोष श्रीवास्तव ने  प्रमुख अतिथियों का स्वागत  स्मृति चिन्ह से करते हुए अपने स्वागत भाषण में पर्यटन के महत्वपूर्ण पक्षों  पर प्रकाश डाला।

सम्मेलन में परिचर्चा के विषय 'साहित्य में अनुवाद 'के महत्व को लक्ष्य करते हुए विद्वानों ने अपने वक्तव्य प्रस्तुत किए।  डॉ विद्या सिंह (प्रो. देहरादून महाविद्यालय)  ने विभिन्न भाषाओं में अनुवाद के महत्व को परिभाषित किया। प्रमुख वक्ता डॉ ज्योति गजभिए,  डॉ प्रणव शास्त्री, डॉ क्षमा पांडे एवं पूनम तिवारी ने राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लिखे जा रहे साहित्य तथा विदेशी साहित्य को लेकर अनुवाद की भूमिका का मूल्यांकन किया। अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में डॉ सुषमा सिंह ने कहा कि "भ्रमण हमारे अनुभवों को समृद्ध करता है । विश्व मैत्री मंच से जुड़कर और उसकी गतिविधियों का व्यापक विस्तार देख कर मुझे महसूस होता है  कि यह हमारी सृजनात्मक प्रतिभा के विकास में अत्यंत सहायक है ।" रानी मोटवानी  तथा रेखा कक्कड़ की पुस्तकों का विमोचन इस दौरान हुआ । मधु सक्सेना ने “गांव की धोबन की” एकल नाट्य प्रस्तुत की।

कार्यक्रम के अंतिम सत्र में विशिष्ट अतिथि डॉ प्रमिला वर्मा , सुनीता राजपाल और  माला गुप्ता ने सभी प्रतिभागियों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। सम्मेलन के तीसरे दिन नाइल क्रूज में कवि सम्मेलन आयोजित किया गया। जिसमें डॉ ज्योति गजभिए की अध्यक्षता में 24 कवियों ने कविता पाठ कर लाउंज में उपस्थित अन्य देशों से आए पर्यटकों को भी मंत्रमुग्ध कर लिया। इस विशेष कवि सम्मेलन का संचालन बेहद रोचक तरीके से अंजना श्रीवास्तव एवं उमा तिवारी ने किया।


प्रस्तुति: संतोष श्रीवास्तव


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