कमला कृति

मंगलवार, 1 जनवरी 2019

राजेन्द्र वर्मा के चार नवगीत


चित्र गूगल सर्च इंजन से साभार



एक जनवरी आयी 

         
जींस-टॉप कुहरे के डाले  
एक जनवरी आयी !

महल-अटारी पर न्योछावर

बिजली वाले लट्टू 
अपनी बस्ती के खम्भों में 
लटके बल्ब निखट्टू 

जलते टायर से घबराती

एक जनवरी आयी!

अम्मा को गठिया ने जकड़ा,

बापू को जूड़ी ने 
नींद उड़ा रक्खी भैया की 
जवाँ हुई बेटी ने 

शिक्षा ऋण की नोटिस लेकर 

एक जनवरी आयी ।

दो पैसे की बचत नहीं, 

खेती लेकिन करनी है
केसीसी की किश्त पुरानी  
कैसे भी भरनी है 

आलू पर पाला बरसाती 

एक जनवरी आयी ।       


भाग्य की बही  


नया साल आया,
पर समय वही ।

सर्द-सर्द रातें
गलन-भरे दिन
मौसम की घातें
बेबस पल-छिन

कर्मों पर भारी
भाग्य की बही ।

फटी रजाई है
फटा सलूका
चीथड़े लपेटे
बने बिजूका

साहब के लेखे
सभी कुछ सही ।

ऊनी में जकड़े
आये प्रधान,
बँटने को उतरन
दौड़ते श्वान

घर के कौड़े में
आग हँस रही ।    
   

नवल वर्ष आया 

       
नवल उमंगें, नवल तरंगें   
नवल वर्ष लाया !

विगत वर्ष ने सदा की तरह 
दीं कुछ सौग़ातें 
यादों की सरि में तिरतीं कुछ  
खट-मिट्ठी बातें 

नवल सर्जना के सपने ले 
नवल वर्ष आया !

श्रम के फल पर बैठी सत्ता 
फन अपना काढ़े 
पूँजीपतियों के दलाल हैं 
सिर के बल ठाढ़े 

नये पहरुए ने भी खल का 
करतब दिखलाया ।

फुटपाथों पर जीना जैसे 
मौत बुलाना है 
न्यायपालिका के आगे 
ख़ुद को समझाना है 
भोर-साँझ लेकिन हमने 
भैरव में ही गाया । 

अभी घना कुहरा है लेकिन,
सूरज निकलेगा
दिग्पालों को अचरज होगा,
मौसम बदलेगा 

पात-पात पूछेगा, हिय को  
किसने सरसाया !          
 

समय नहीं बदला 



नया साल आया है लेकिन, 
समय नहीं बदला !

आँखों का माड़ा कब उतरे, कौन जानता है?
साठे के अनुभव को भी अब, कौन मानता है?

कुहराये मौसम का सूरज, है अपने हिस्से,
कहने को नवयुग आया पर,
हमको कहाँ फला !

नये-नये ईश्वर हैं लेकिन, हैं तो वे पत्थर,
हम बेबस इंसानों का है, एक नहीं ईश्वर,
कलाकार बेशक़ बदले, पर एक चरित उनका, 
विश्वग्राम के ज़मींदार ये 
अपना करें भला ।

अपराधों को मिली हुई, दुर्घटना की संज्ञा,
संविधान के शीश चढ़ी है, मनुवाली सत्ता,
धर्म-अँजी आँखों में तैरे, जन्मों का लेखा,
कायरता के उच्छ्वास से 
कब दुर्भाग्य टला !

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राजेन्द्र वर्मा 



  • जन्म: 8 नवम्बर 1957, बाराबंकी (उ.प्र.) के एक गाँव में ।
  • प्रकाशन-प्रसारण: गीत,  ग़ज़ल, दोहा, हाइकु, कहानी, लघुकथा, व्यंग्य, निबन्ध आदि विधाओं में इक्कीस पुस्तकें प्रकाशित । महत्वपूर्ण संकलनों में सम्मिलित । 
  • विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ एवं समीक्षाएँ प्रकाशित ।
  • लखनऊ दूरदर्शन तथा आकाशवाणी से रचनाएँ प्रसारित ।
  • पुरस्कार-सम्मान: उ.प्र.हिन्दी संस्थान के व्यंग्य एवं निबन्ध-नामित पुरस्कारों सहित देश की अनेक संस्थाओं द्वारा सम्मानित । 
  • अन्य:लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा रचनाकार पर एम्.फिल । अनेक शोधग्रन्थों में संदर्भित । कुछ लघुकथाओं और ग़ज़लों का पंजाबी में अनुवाद । चुनी हुई कविताओं का अँगरेज़ी में अनुवाद ।
  • सम्प्रति:भारतीय स्टेट बैंक में मुख्य प्रबन्धक के पद से सेवानिवृत्ति के बाद स्वतन्त्र लेखन। 
  • सम्पर्क:3/29 विकास नगर, लखनऊ 226022 
  • मो. 80096 60096
  • ई-मेल : rajendrapverma@gmail.com

5 टिप्‍पणियां:

  1. ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 06/01/2019 की बुलेटिन, " सच्चे भारतीय और ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (07-01-2019) को "मुहब्बत और इश्क में अंतर" (चर्चा अंक-3209) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक

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  3. उत्तर
    1. हार्दिक आभार उपस्थिति एवं प्रेरक प्रतिक्रिया के लिए!

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