कमला कृति

मंगलवार, 29 जनवरी 2019

डा. मधुर बिहारी गोस्वामी के दोहे


चित्र गूगल सर्च इंजन से साभार


मिथ्या है अभिमान..


देख जरा मजदूर को, कैसा है बदहाल।
खाने को तरसे सदा,रोटी,चावल,दाल।।

राजनीति भरमा रही, नेता मालामाल।
भूखी जनता चाहती, रोटी,चावल,दाल।।

कहाँ गई अमराइयाँ, कहाँ गए घन घोर।
सूखा ही सूखा दिखे, क्यों नाचे मन-मोर।।

चहूँ ओर हैं दीखते, हरियाली के चोर।
दिख पाएगा कब तलक,यह वनवासी मोर।।

छूटेगा तन एक दिन, होगा काल प्रहार।
झूठा मत अभिमान कर,मेरे प्यारे यार।।

क्यों करता है रात-दिन, मिथ्या है अभिमान।
भीलन लूटी गोपिका, निष्फल अर्जुन बान।।

चार दिनों की चाँदनी, मान सके तो मान।

फिर गहरा अँधियार लख,मत कर तू अभिमान।।

क्यों खोजूँ गिरि कन्दरा, क्यों यमुना के तीर।
मुझको तो कान्हा दिखे,सदा पराई पीर।।

जब पड़ता है काम तो, दुनिया से मुख मोड़।
गर्दभ का आदर करें, बाप कहें, कर जोड़।।

जीवन अब कैसे बचे,दिल में उठती हूक।
जगह-जगह रहजन खड़े, लिए हाथ बन्दूक।।


डा. मधुर बिहारी गोस्वामी


  • जन्मतिथि-25 फरवरी-1953
  • शिक्षा-एम.ए.पी-एच.डी.
  • पद-सेवानिवृत्त एसोसिएट प्रोफेसर, एस.बी.जे.महाविद्यालय,बिसावर (हाथरस)।
  • लेखन-अनेक पत्रिकाओं में निबंध, दोहे आदि प्रकाशित। आकाशवाणी दिल्ली और मथुरा-वृन्दावन से अनेक वार्ताएँ प्रसारित। अनेक साहित्यिक गोष्ठियों में पत्र वाचन।
  • संपर्क-34, बिहारीपुरा,वृंदावन (मथुरा)।
  • मो.9719648204,8755846327
  • ईमेल-madhurbihari0565@gmail.com
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                    डॉ. मंजु शर्मा सारस्वत सम्मान से अलंकृत


चिरेक इंटरनेश्नल स्कूल की हिंदी विभाग अध्यक्ष डॉ. मंजु शर्मा को श्रीनाथद्वारा (हैदराबाद) में आयोजित विशाल सम्मान समारोह में श्रीनाथद्वारा साहित्य मंडल एवं केन्द्रीय हिंदी संस्थान के सयुंक्त तत्वावधान में ‘ललितशंकर दीक्षित स्मृति सम्मान’ से अलंकृत किया गया। यह सम्मान उन्हें दक्षिण भारत में रहकर हिंदी भाषा और साहित्य की उत्कृष्ट सेवा के लिए की विनोद बब्बर और डॉ. किशोर काबरा जैसे साहित्यकारों की उपस्थिति में डॉ. बीना शर्मा और श्याम जी देवपुरा ने प्रदान किया.सम्मान के अंतर्गत श्री फल,प्रमाण पत्र, अंगवस्त्र, मेवाती पगड़ी और नकद धन राशि शामिल है।

तीन दिन के इस समारोह में देशभरसे आए हिंदी सेवियों और साहित्यकारों ने भाग लिया जिनमेंडॉ. विजय प्रकाश त्रिपाठी (कानपुर), अवधेश शुक्ल( सीतापुर),डॉ सविता चड्ढा(दिल्ली) हेमराज मीणा, कल्पना गवली (बड़ोदरा)अमरेंद्र पत्रकार (लोकसभा चैनल) आदि के नाम प्रमुख हैं। कार्यक्रम के अंतर्गत कुल विचार स्त्र सम्पन्न हुए जिनमें हिंदी भाषा और साहित्य के विविध पक्षों और समस्याओं पर गहन मंथन हुआ. डॉ. मंजु शर्मा ने ‘दक्षिण में हिंदी की स्थिति’ पर अपना आलेख प्रस्तुत किया। उन्होंने यह सुझाव दिया कि दक्षिण में हिंदी की स्वीकार्यता को भावनात्मक स्तर पर बढ़ाने के लिए यह आवश्यक है कि हिंदी भाषी प्रान्तों में  बच्चों को प्राथमिक स्तर से ही एक दक्षिण भारतीय भाषा की शिक्षा दी जाए.उनके इस प्रस्ताव का उपस्थित विद्वानों ने खुले मन से स्वागत किया।

प्रेषक-डॉ. मंजु शर्मा

विभागाध्यक्ष (हिंदी विभाग)
चिरेक इंटरनेश्नल स्कूल कोंडापुर, हैदराबाद।
ईमेल-manju.samiksha@gmail.com

मंगलवार, 1 जनवरी 2019

राजेन्द्र वर्मा के चार नवगीत


चित्र गूगल सर्च इंजन से साभार



एक जनवरी आयी 

         
जींस-टॉप कुहरे के डाले  
एक जनवरी आयी !

महल-अटारी पर न्योछावर

बिजली वाले लट्टू 
अपनी बस्ती के खम्भों में 
लटके बल्ब निखट्टू 

जलते टायर से घबराती

एक जनवरी आयी!

अम्मा को गठिया ने जकड़ा,

बापू को जूड़ी ने 
नींद उड़ा रक्खी भैया की 
जवाँ हुई बेटी ने 

शिक्षा ऋण की नोटिस लेकर 

एक जनवरी आयी ।

दो पैसे की बचत नहीं, 

खेती लेकिन करनी है
केसीसी की किश्त पुरानी  
कैसे भी भरनी है 

आलू पर पाला बरसाती 

एक जनवरी आयी ।       


भाग्य की बही  


नया साल आया,
पर समय वही ।

सर्द-सर्द रातें
गलन-भरे दिन
मौसम की घातें
बेबस पल-छिन

कर्मों पर भारी
भाग्य की बही ।

फटी रजाई है
फटा सलूका
चीथड़े लपेटे
बने बिजूका

साहब के लेखे
सभी कुछ सही ।

ऊनी में जकड़े
आये प्रधान,
बँटने को उतरन
दौड़ते श्वान

घर के कौड़े में
आग हँस रही ।    
   

नवल वर्ष आया 

       
नवल उमंगें, नवल तरंगें   
नवल वर्ष लाया !

विगत वर्ष ने सदा की तरह 
दीं कुछ सौग़ातें 
यादों की सरि में तिरतीं कुछ  
खट-मिट्ठी बातें 

नवल सर्जना के सपने ले 
नवल वर्ष आया !

श्रम के फल पर बैठी सत्ता 
फन अपना काढ़े 
पूँजीपतियों के दलाल हैं 
सिर के बल ठाढ़े 

नये पहरुए ने भी खल का 
करतब दिखलाया ।

फुटपाथों पर जीना जैसे 
मौत बुलाना है 
न्यायपालिका के आगे 
ख़ुद को समझाना है 
भोर-साँझ लेकिन हमने 
भैरव में ही गाया । 

अभी घना कुहरा है लेकिन,
सूरज निकलेगा
दिग्पालों को अचरज होगा,
मौसम बदलेगा 

पात-पात पूछेगा, हिय को  
किसने सरसाया !          
 

समय नहीं बदला 



नया साल आया है लेकिन, 
समय नहीं बदला !

आँखों का माड़ा कब उतरे, कौन जानता है?
साठे के अनुभव को भी अब, कौन मानता है?

कुहराये मौसम का सूरज, है अपने हिस्से,
कहने को नवयुग आया पर,
हमको कहाँ फला !

नये-नये ईश्वर हैं लेकिन, हैं तो वे पत्थर,
हम बेबस इंसानों का है, एक नहीं ईश्वर,
कलाकार बेशक़ बदले, पर एक चरित उनका, 
विश्वग्राम के ज़मींदार ये 
अपना करें भला ।

अपराधों को मिली हुई, दुर्घटना की संज्ञा,
संविधान के शीश चढ़ी है, मनुवाली सत्ता,
धर्म-अँजी आँखों में तैरे, जन्मों का लेखा,
कायरता के उच्छ्वास से 
कब दुर्भाग्य टला !

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राजेन्द्र वर्मा 



  • जन्म: 8 नवम्बर 1957, बाराबंकी (उ.प्र.) के एक गाँव में ।
  • प्रकाशन-प्रसारण: गीत,  ग़ज़ल, दोहा, हाइकु, कहानी, लघुकथा, व्यंग्य, निबन्ध आदि विधाओं में इक्कीस पुस्तकें प्रकाशित । महत्वपूर्ण संकलनों में सम्मिलित । 
  • विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ एवं समीक्षाएँ प्रकाशित ।
  • लखनऊ दूरदर्शन तथा आकाशवाणी से रचनाएँ प्रसारित ।
  • पुरस्कार-सम्मान: उ.प्र.हिन्दी संस्थान के व्यंग्य एवं निबन्ध-नामित पुरस्कारों सहित देश की अनेक संस्थाओं द्वारा सम्मानित । 
  • अन्य:लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा रचनाकार पर एम्.फिल । अनेक शोधग्रन्थों में संदर्भित । कुछ लघुकथाओं और ग़ज़लों का पंजाबी में अनुवाद । चुनी हुई कविताओं का अँगरेज़ी में अनुवाद ।
  • सम्प्रति:भारतीय स्टेट बैंक में मुख्य प्रबन्धक के पद से सेवानिवृत्ति के बाद स्वतन्त्र लेखन। 
  • सम्पर्क:3/29 विकास नगर, लखनऊ 226022 
  • मो. 80096 60096
  • ई-मेल : rajendrapverma@gmail.com

परिक्रमा: साहित्य यथार्थ की आलोचना करता है-ऋषभदेव शर्मा




                  एलूरु में दोदिवसीय त्रिभाषी अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन संपन्न


         साहित्य का मूल प्रयोजन लोक मंगल की साधना है, न कि मनोरंजन। समाज के लिए जो कुछ भी अशुभ और अमंगलकारी हो सकता है साहित्य उस यथार्थ की आलोचना करता है और मंगलकारी आदर्श की स्थापना करता है। इस दृष्टि से भारतीय भाषाओं का भक्ति आंदोलन, नवजागरण आंदोलन और स्वतंत्रता आंदोलन के समय का साहित्य पूरी तरह सुधारात्मक दृष्टिकोण से प्रेरित है। इसी प्रकार समकालीन विमर्शों का साहित्य भी कर्मक्षेत्र के सौंदर्य को सामने लाते हुए सामाजिक परिवर्तन के लिए दिशा प्रदान कर सकता है।"  

       ये विचार सर सी.आर. रेड्डी (स्वायत्त) महाविद्यालय एलूरु (आंध्र प्रदेश) में आयोजित संस्कृत, तेलुगु और हिंदी के द्विदिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के हिंदी केंद्रित विचार-विमर्श के बीज भाषण के दौरान दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा के पूर्व आचार्य डॉ. ऋषभदेव शर्मा ने प्रकट किए। उन्होंने हर्ष व्यक्त किया कि भयंकर मूल्य विघटन और उपभोक्ता संस्कृति से ग्रसित वर्तमान परिस्थितियों में इस प्रकार एक सार्थक सम्मेलन का आयोजन हो रहा है। उन्होंने कहा कि एक ठेठ तेलुगु प्रदेश में इतने बड़े पैमाने पर हिंदी में अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन होना अपूर्व है। भाषा और संस्कृति विभाग, आंध्र प्रदेश सरकार के सहयोग से विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा प्रायोजित तथा हिंदी, तेलुगु व संस्कृत विभागों के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में समाज पर भाषा एवं साहित्य के प्रभाव को लेकर कई महत्वपूर्ण चर्चाओं को स्थान मिला। आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, पांडिच्चेरी आदि राज्यों के साथ-साथ अमेरिका, इंग्लैंड, जर्मनी, कोरिया और जापान से आए विद्वानों, हिंदी सेवियों और छात्रों ने बड़ी संख्या में उपस्थित होकर इस सम्मेलन को सफल बनाया। 

      दक्षिण कोरिया से पधारे हिंदी लेखक और आलोचक डॉ. को जोंग किम ने कहा कि दक्षिण कोरिया और भारत के बीच बहुत प्राचीनकाल से अच्छे रिश्ते रहे हैं। उन्होंने हिंदी को भारतीय संस्कृति की संवाहक बताते हुए उसे ‘दिल की भाषा’ कहा। आंध्र प्रदेश के पूर्व सांसद और फिल्म विकास निगम के अध्यक्ष अंबिका कृष्ण ने अपने संबोधन में तेलुगु भाषा और साहित्य को संरक्षित करने की बता कही तथा उसके आंदोलनात्मक और सुधारवादी चरित्र पर प्रकाश डाला। हिंदी साहित्य संबंधी विचार सत्रों में समाज और भाषा के संबंध में आंध्र विश्वविद्यालय के प्रो. एन. सत्यनारायण, सैंट जोसेफ महिला महाविद्यालय की डॉ. पी.के.जयलक्ष्मी, नरसापुर के डॉ. कुमार नागेश्वर राव, तमिलनाडु केंद्रीय विश्वविद्यालय के आचार्य डॉ. एस.वी.एस.एस.नारायण राजु, कांचीपुरम विश्वविद्यालय के डॉ. दंडिबोट्ला नागेश्वर राव, नागार्जुन विश्वविद्यालय के डॉ. काकानि कृष्ण, मानु के डॉ. डी. शेषुबाबु, काकिनाडा के डॉ. पी. हरिराम प्रसाद तथा हैदराबाद की डॉ. पूर्णिमा शर्मा सहित अनेक विद्वानों और शोधार्थियों ने शोधपत्र प्रस्तुत किए।

      सर सी.आर.रेड्डी शैक्षिक संस्थाओं के अध्यक्ष श्री कोम्मारेड्डि राम बाबू, महाविद्यालय के कॉरस्पॉन्डन्ट एवं अन्य पदाधिकारियों ने समारोह में भाषा के महत्व पर अपनी राय जताई। समापन समारोह में प्रो. ऋषभदेव शर्मा ने तेलुगु में भाषण देकर श्रोताओं को अभिभूत कर दिया। सर सी.आर. रेड्डी (स्वायत्त) महाविद्यालय के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ.आर.एन.वी.एस.राजाराव और प्राध्यापक के.शैलजा ने अतिथियों का स्वागत और धन्यवाद किया। साथ ही सम्मेलन के दौरान ही शोधपत्रों का संग्रह प्रकाशित करके अपनी कार्य-दीक्षा और लगन का परिचय दिया। 


प्रस्तुति: डॉ. गुर्रमकोंडा नीरजा 


सह संपादक 'स्रवंति' 
सहायक आचार्य 
उच्च शिक्षा और शोध संस्थान
दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा
हैदराबाद - 500004

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             मिस्र में विश्व मैत्री मंच का नौवाँ अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन 



मिस्र की राजधानी कायरो स्थित  पिरामिड पार्क में अंतरराष्ट्रीय साहित्यिक संस्था विश्व मैत्री मंच का नौवाँ सम्मेलन पिछले दिनों डॉ सी. वी .रमन विश्वविद्यालय ,पटना के कुलाधिपति श्री विजय कांत वर्मा के मुख्य आतिथ्य एवं आगरा महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ सुषमा सिंह की अध्यक्षता में संपन्न हुआ।कार्य्क्रम के उद्घाटन सत्र में संस्था की अध्यक्ष संतोष श्रीवास्तव ने  प्रमुख अतिथियों का स्वागत  स्मृति चिन्ह से करते हुए अपने स्वागत भाषण में पर्यटन के महत्वपूर्ण पक्षों  पर प्रकाश डाला।

सम्मेलन में परिचर्चा के विषय 'साहित्य में अनुवाद 'के महत्व को लक्ष्य करते हुए विद्वानों ने अपने वक्तव्य प्रस्तुत किए।  डॉ विद्या सिंह (प्रो. देहरादून महाविद्यालय)  ने विभिन्न भाषाओं में अनुवाद के महत्व को परिभाषित किया। प्रमुख वक्ता डॉ ज्योति गजभिए,  डॉ प्रणव शास्त्री, डॉ क्षमा पांडे एवं पूनम तिवारी ने राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लिखे जा रहे साहित्य तथा विदेशी साहित्य को लेकर अनुवाद की भूमिका का मूल्यांकन किया। अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में डॉ सुषमा सिंह ने कहा कि "भ्रमण हमारे अनुभवों को समृद्ध करता है । विश्व मैत्री मंच से जुड़कर और उसकी गतिविधियों का व्यापक विस्तार देख कर मुझे महसूस होता है  कि यह हमारी सृजनात्मक प्रतिभा के विकास में अत्यंत सहायक है ।" रानी मोटवानी  तथा रेखा कक्कड़ की पुस्तकों का विमोचन इस दौरान हुआ । मधु सक्सेना ने “गांव की धोबन की” एकल नाट्य प्रस्तुत की।

कार्यक्रम के अंतिम सत्र में विशिष्ट अतिथि डॉ प्रमिला वर्मा , सुनीता राजपाल और  माला गुप्ता ने सभी प्रतिभागियों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। सम्मेलन के तीसरे दिन नाइल क्रूज में कवि सम्मेलन आयोजित किया गया। जिसमें डॉ ज्योति गजभिए की अध्यक्षता में 24 कवियों ने कविता पाठ कर लाउंज में उपस्थित अन्य देशों से आए पर्यटकों को भी मंत्रमुग्ध कर लिया। इस विशेष कवि सम्मेलन का संचालन बेहद रोचक तरीके से अंजना श्रीवास्तव एवं उमा तिवारी ने किया।


प्रस्तुति: संतोष श्रीवास्तव