कमला कृति

सोमवार, 6 अक्तूबर 2014

मेरा मन व अन्य कविताएं-जयन्ती प्रसाद शर्मा



चित्र गूगल सर्च इंजन से साभार


मेरा मन..


मेरा मन एक आस का पंछी-
स्वयं भी भटकता है
मुझे भी भटकाता है।
वह चलता है आगे आगे
और मै बंधा किसी अदृश्य डोर से-
उसके पीछे दौड़ता चला जाता हूँ।
मै कभी थक कर रुक जाता हूँ,
वह देखता है मुड़ कर, करता है
मेरा उत्साह्बर्धन
और मै पुन: उसका
अनुसरण करने लगता हूँ।
अति उत्साहित हो
वह कभी उड़ जाता है ऊँचे आकाश में,
पड़ कर कभी नैराश्य के गर्त में-
गहरे सागर में डूबने उतराने लगता है।
छिप कर किसी बदली की ओट में
 करके आँख मिचोली-
मुझे बहलाने, भरमाने लगता है।
पता नहीं उसके यों
भटकने, भटकाने से-
कभी मिल भी पायेगा अभीष्ट।


कुहरा


वातावरण में फैला घना कुहरा-
लगता है मनुष्य के
अन्तस में भी छा गया है।
पास खड़े स्वजनों के चेहरे भी उसे-
दिखाई देते हैं काले धब्बे से।
असहनीय शीत से उसकी जड़ हो गई है-
भावना, संचेतना।
अपनों की भावों की गर्माहट भी-
नहीं कर पाती है कोई स्पंदन।
प्रतीक्षा है किसी
बासंतिक बयार के झोंके की,
एक टुकड़ा गुनगुनी धुप की,
जो छांट देगी पसरे कुहासे को-
तन की सर्द जड़ता को।
वह देख सकेगा ठीक से हर आकृति,
अनुभव कर सकेगा
हर मन की भावना की-
उष्णता।


बड़े प्यार से मिलते हैं


वे जब भी मिलते हैं
बड़े प्यार से मिलते हैं।
में भी उन्हें सम्मान देता हूँ-
बड़े भाई सा।
लेकिन उन्होंने किया है
मेरा उपयोग सदैव-
एक मोहरे की तरह।
वे जब मेरा जैसा उपयोग चाहते हैं,
मुझे इंगित कर देते हैं और मैं
उनकी चाहत जैसा-
व्यवहार करने लगता हूँ।
भीड़ में कर लेता हूँ
उनके चरण स्पर्श।
मेरे चरण स्पर्श करते ही
लोगों का लग जाता है ताँता-
उनके चरण स्पर्श करने को।
उनके इशारे पर,
जब वे उचित समझते हैं,
में उन्हें पहना देता हूँ फूलों का हार-
और वहाँ फूलों के हारों का ढेर लग जाता है।
आवश्यकता पड़ने पर
मै उनका नाम लेकर-
जोर जोर से जिंदाबाद के
नारे भी लगा देता हूँ।
प्रत्युतर में उनके जिंदाबाद के नारों से-
परिसर गुंजायमान हो जाता है।


जयन्ती प्रसाद शर्मा 


  • नाम : जयन्ती प्रसाद शर्मा
  • पिता का नाम : स्व: श्री छेदा लाल शर्मा
  • माता का नाम : स्व: श्री मती हरप्यारी देवी
  • जन्म तिथि : 15 अप्रैल 1940
  • जन्म स्थान : अलीगढ
  • कार्य : सेवानिवृत वरिष्ठ सहायक (एन सी सी विभाग) 
  • प्रकाशित कृतियाँ : मन के वातायन (कविता संग्रह), सूर्पणखा (खंडकाव्य),सुभाष चन्द बोस (अप्रकाशित 
  • खंडकाव्य) 
  • पता : 11/183, सराय कुतुब, अलीगढ़-202001 (उत्तर प्रदेश)
  • संपर्क: jpsharma183@rediffmail.com 
  • मोबाइल: 0888142335 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें