धर्मशाला (हि प्र)। 'अनहद कृति' ई-पत्रिका के 21 से 23 फरवरी तक धर्मशाला में हुए में हुए वार्षिकोत्सव 'सहित्याश्रय-2020 'में देश के विभिन्न राज्यों, विदेश तथा हिमाचल के कांगड़ा, धर्मशाला, पालमपुर, मण्डी, शाहपुर, पदरा, ज्वालाजमुखी, नेरटी, रक्कड़,सिद्धवाड़ी के साहित्यकारों ने मिलवर्तन कार्यक्रम का भरपूर आनंद उठाया। प्रथम दिवस मौसम की अनिश्चितता ने भी रचनाकारों के उत्साह में कोई कमी न आने दी।अनौपचारिक मिलवर्तन में सभी दूरियों, संस्कृतियों, व स्थानीयता की सीमाएं भूल कर सभी ने परस्पर खुले मन से मिल अनहद कृति साहित्याश्रय में भाग लिया। फिर, माँ शारदा के समक्ष सभी प्रतिभागियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन के साथ सरस्वती वंदना की गई जिसे बच्चों द्वारा मंत्रोच्चारण से शुरू किया गया। सम्पादक द्वय चसवाल दंपत्ति ने सभी का स्वागत किया।
विजयपुरी द्वारा हिमाचल की ओर से स्वागत के बाद NYORD की डॉक्यूमेंट्री का परिचय दिया गया। साहित्याश्रय की अनूठी संवादात्मक पुस्तक प्रदर्शनी "किताब की बात" हेतु सोत्साह देश के विभिन्न राज्यों से आये सृजनशील रचनाकारों और हिमाचली रचनाकारों ने विभिन्न विधाओं की अपनी पुस्तकों को सजाया। इसमें महेश एवं नीरजा द्विवेदी (लखनऊ, ऊ. प्र.), सविता चड्ढा, मनमोहन भाटिया (दिल्ली), अमर पंकज झा (दिल्ली/बिहार), आशा शैली (नैनीताल, उत्तराखंड), गोपाल कृष्ण भट्ट 'आकुल' (कोटा, राजस्थान), शशि प्रभा, दलजीत सैनी (चंडीगढ़/पंजाब), प्रभा मुजुमदार (मुंबई, महाराष्ट्र), पुष्पराज एवं प्रेमलता चसवाल (अम्बाला, हरियाणा) एवं हिमाचल के राकेश पथरिया, विजय पुरी, प्रभात शर्मा, चंद्ररेखा डढवाल, सुमन शेखर, राकेश मस्ताना, कुशल कटोच मुख्य थे। युवा रचनाकारों-स्नेही चौबे (बेंगलुरु, कर्नाटक), सर्वेश कुमार मिश्र (हिमाचल/ वाराणसी) ने पुस्तक प्रदर्शनी सेट अप में बढ़चढ़ कर हाथ बंटाया। फिर हाई- टी के दौरान सभी ने आपसी मिलवर्तन का खूब मज़ा लिया। रात में देश भर के रचनाकारों को देवभूमि हिमाचल की संस्कृति से अवगत करवाने के लिए राकेश पथरिया के अथक प्रयास से बनी 'हिमाचल के लोक गीत एवं संस्कृति' डाक्यूमेंटरी का प्रसारण किया गया। 22 फरवरी का दिन साहित्याश्रय की औपचारिक गतिविधियों को समर्पित रहा। कार्यक्रम का शुभारंभ त्विशा चसवाल राज व सारा शर्मा बाल कलाकारों द्वारा श्लोकों एवं बलराम चसवाल रचित सरस्वती वंदना के गायन से किया गया। तत्पश्चात, अनहद कृति के सम्पादक द्वय पुष्पराज एवं प्रेमलता चसवाल ने साहित्याश्रय में सबका स्वागत किया। पुष्पराज चसवाल ने अनहद कृति के लोकार्पण दिवस 23 मार्च के शहीदी दिवस का अनुपम व्याख्यान करते हुए शहीदों को भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी। प्रेमलता 'प्रेमपुष्प' ने साहित्यकार श्रद्धांजलि की शुरुआत की। इसमें अनहद कृति के चहेते दिवंगत रचनाकारों को श्रद्धा वाक्याँजलि में - डा. मैथिलि प्रसाद भारद्वाज को शशि प्रभा ने, डा. पीयूष गुलेरी को चंद्रलेखा डढवाल ने, डा.आनंद स्वरूप को पुष्पराज चसवाल व अमन चांदपुरी को प्रेमलता प्रेमपुष्प ने अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए। विनीता तिवारी द्वारा दी गयी श्रद्धांजलि में युवा रचनाकार अमन चांदपुरी की ग़ज़ल का प्रसारण 'अनहद कृति की आवाज़ें' पोर्टल से किया गया, जिसने सभी की आँखें नम कर दी। "किताब की बात" पुस्तक प्रदर्शनी का उदघाटन युवा रचनाकारों स्नेही चौबे, विभा चसवाल ने किया। पहले सत्र में रचनाकारों (सविता चड्ढा, मनमोहन भाटिया, राकेश पथरिया, महेश द्विवेदी) ने अपने प्रकाशन अनुभवों का उपस्थित सुधि-जनों से सीधे साक्षात्कार एवं अनूठा संवाद सांझा किया, इसी के दौरान वरिष्ठ साहित्यकार गौतम व्यथित के शुभागमन ने इस सत्र में चार चाँद लगा दिए, जब उन्होंने अपने आधी सदी से भी लम्बे प्रकाशन अनुभव को सांझा कर सभी को लाभान्वित किया। लोगों की जिज्ञासा के नतीजतन हुई चर्चा ने इस प्रदर्शनी को "किताब की बात" नामारूप सार्थक बना दिया। बच्चों के हिंदी-बिंदी कैंप में कला-कृतियाँ बनाने में जुटे बच्चों अद्वित, त्विशा, सारा, विख्यात की सुन्दर कलाकृतियों का सभी ने खूब आनंद उठाया। अरुणा रंगनाथ की अनहद कृति के साथ कला यात्रा की भी बात हुई। सभी पुनःसभागार में उपस्थित हुए। किन्हीं अपरिहार्य कारणों से अनहद कृति के साहित्याश्रय में पंजीकृत होने के बावजूद अपनी भागीदारी न कर पाने वाले रचनाकारों के वीडियों संदेशों का प्रसारण किया गया। अनहद कृति परिवार की अभिन्न सदस्य विभोर चसवाल ने अमेरिका से साहित्याश्रय में साहित्यकारों के स्वागत किया। राधिका गुलेरी (दुबई) ने डा. पीयूष गुलेरी की स्मृतियों को साँझा किया। रचनाकार प्रदीप स्नेही (अम्बाला), पुष्पगंधा सम्पादक एवं कहानीकार विकेश निझावन (अम्बाला), कहानीकार मिर्ज़ा हफ़ीज़ बेग (भिलाई), कलाकार श्रीधरी देसाई (अमेरिका) के शुभकामना सन्देश प्रसारित किये गए। मध्यान्ह भोजन के बाद, अनहद कृति के परिचय, प्रस्तुति एवं पठन-पाठन के सत्र की शुरुआत में विभा चसवाल ने अनहद कृति ई-पत्रिका की वैश्विक पहुँच के बारे में और इसके वृहद साहित्यिक परिवार के बारे में आंकड़ों के साथ बताया और पत्रिका के विभीन पन्नों/पोर्टलों से अवगत करवाया। तत्पश्चात अनहद कृति के उपस्थित रचनाकारों ने ई-पत्रिका में प्रकाशित अपनी रचनाओं का पठन-पाठन सीधे ई-पोर्टल से किया। कभी लैपटॉप, कभी मोबाइल के ज़रिये, साथ ही इन रचनाओं को प्रोजेक्टर पर दिखाया भी गया। इस तकनीकी एवं कलात्मक साहित्यिक सत्र में महेश द्विवेदी (लखनऊ), प्रभा मुजुमदार (मुंबई), सविता चड्डा (दिल्ली), मनमोहन भाटिया (दिल्ली), गोपाल कृष्ण भट्ट 'आकुल' (कोटा), नीरजा द्विवेदी (लखनऊ), राकेश पत्थरिया (ज्वालामुखी), आशा शैली (नैनीताल), प्रेमलता 'प्रेमपुष्प' (अम्बाला), तथा पुष्पराज चसवाल (अम्बाला) ने अनहद कृति पोर्टल से अपनी रचनाओं का काव्य पाठ किया। उपस्थित सुधि श्रोतागण हिमाचल के अनेक रचनाकार रहे जिन्हें इस सत्र ने अपनी तकनीकी एवं कलात्मक पक्ष से अभिभूत किया। अनहद कृति वर्कशाप में स्थानीय रचनाकारों का ई-पत्रिका में पंजीकरण एवं अनहद कृति प्रयोग का प्रशिक्षण राजेश मुरली ने करवाया।
इस सत्र के बाद एक अनूठे विमोचन के सत्र में गौतम व्यथित, सविता चड्ढा, प्रभा मुजुमदार, प्रभात शर्मा, अमर पंकज झा ने पी पी प्रकाशन की दो नई पुस्तकों डॉ प्रेमलता 'प्रेमपुष्प' का काव्य-संग्रह 'कण कण फैलता आकाश मेरा' और पुष्पराज चसवाल की अनुवाद की पुस्तक 'महात्मा, मार्टिन और मंडेला' का लोकार्पण किया। इसी सत्र में सम्पादक द्वय शामिल हुए गोपाल कृष्ण भात 'आकुल' की नयी पुस्तक 'हौसलों ने दिए पंख' के लोकार्पण में, जिसके बाद दलजीत सैनी की बाल साहित्य की पुस्तक का लोकार्पण किया बच्चों - अद्वित चिराग, त्विशा, सारा, विख्यात ने। सभी विमोचनकर्ताओं के. गौतम व्यथित और सविता चड्ढा ने 'कण-कण फैलता आकाश मेरा' की समीक्षा की। पुष्पराज चसवाल, गोपाल कृष्ण भट्ट और दलजीत सैनी ने नई पुस्तकों पर अपने कथन दिए। इस अनूठे विमोचन को सबने खूब सराहा। इसके बाद "किताब की बात" संवादात्मक प्रदर्शनी के दूसरे सत्र के रचनाकारों (चंद्ररेखा डढवाल, सुमन शेखर, प्रभात रंजन, गोपाल कृष्ण भट्ट 'आकुल', अमर पंकज झा, नीरजा द्विवेदी, आशा शैली) ने अपने प्रकाशन अनुभव सांझे किये। पारिवारिक कारणों से चंडीगढ़ गयी हिमाचली रचनाकार अदिति गुलेरी का भी इस सत्र के दौरान आगमन हुआ। उन्होंने अपनी, पीयूष गुलेरी एवं प्रत्यूष गुलेरी की किताबों की बात की। इस सत्र से साहित्याश्रय के दूसरे दिन के औपचारिक कार्यक्रम का समापन हुआ। समां में लगातार मिलवर्तन की भीनी बयार चलती रही - बाहर के साथी मिल कर धर्मशाला के शहीदी स्मारक गए।वहां से वापिस आकर सबने 'बॉन फायर' के आसपास गीत-संगीत का आनंद उठाया, बच्चों ने माइक ले कर कुछ समय तक इसे एक सत्र की तरह शुरू किया। सारा शर्मा ने केसीओ पर गानों की धुनें बजायी और गर्माते सदस्यों ने गीतों का नाम बताया और उन्हे गाया भी - जब सारा ने 'सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा' और 'वन्दे मातरम' की धुनें बजायी तो माहौल हर्षोन्मत्त हो उठा। देवर्षि द्विवेदी के मधुर गायन ने हेमंत कुमार को सजीव कर दिया, शिवरानी झा ने ब्लैक-एंड-वाइट बॉलीवुड समय की याद दिलाई एक पुराना गीत गा कर, वहीँ आशा शैली के पंजाबी लोक गीत ने मस्त समां बाँधा, विभा-त्विशा ने भी गीत गाये, सविता चड्ढा, अमर पंकज, आशा शैली, गोपाल कृष्ण भट्ट 'आकुल' ने अपनी कवितायेँ, ग़ज़लें, छंद सुनाए। प्रेमलता 'प्रेमपुष्प' ने धर्मशाला के अपने समय में लिखे चीड़ के पेड़ो पर गीत 'ऊंची-ऊंची चीड़ों से आशाओं के आकार' और 'यामिनी के रूप' गीतों से नैसर्गिक समां बाँधा। सभी ने वहीँ अलाव के आसपास स्वादिष्ट खाना खाया जिसका बंदोबस्त पूरी मुस्तैदी से होटल कश्मीर हाऊस के स्टाफ़ ने सहर्ष किया। मेल-जोल के यह समागम कुछ दस बजे तक चला और अंत में पुष्पराज चसवाल के गीत 'साधना' को प्रेमपुष्प, विभा, पुष्पराज ने मिल कर गाया और यामिनी साहित्यकार हृदय की अनुपम अनुभूति से परिपूर्ण सुसज्जित हो गयी...... धौलाधार के वरदहस्त तले, चमचमाते तारों भरे आकाश में अपने बुझते अलाव की मद्धम रौशनी में, और टिमटिमाते छोटे बल्बों से सुसज्जित साहित्याश्रय का घर 'होटल कश्मीर हाउस' एक सुरम्य दृश्यावली दिखाई पड़ रहा था।
साहित्याश्रय का तीसरा अंतिम दिवस 23 फरवरी सुबह चाय-नाश्ते के बाद 'किताब की बात' का अंतिम सत्र था जिसमें पुष्पराज चसवाल और प्रेमलता ‘प्रेमपुष्प’ ने 1985 में पी पी प्रकाशन की संस्थापना से अब तक के अपने प्रकाशन अनुभव को साँझा किया, और ‘कण कण फैलता आकाश मेरा’ और ‘महात्मा, मार्टिन और मंडेला’ की किताब के हाल ही में प्रकाशन में आए उतार-चढ़ाव की बात की। इस प्रदर्शनी की अंतिम भेंट थी - प्रतिभागी किताबों के संग्रह जिसको विंसटन-सलेम, नोर्थ कैरलाइना के पुस्तकालय में अनुदान हेतु इकट्ठा किया गया - एक सशक्त तत्कालीन किताबों के इस ‘स्तम्भ' को बनाने में जुटे देश भर के रचनाकारों का उत्साह देखते ही बनता था। इसके बाद सम्पादक द्वय द्वारा सभी का धन्यवाद ज्ञापित कर इस प्रदर्शनी का समापन किया गया।
आख़िरी दिन का दूसरा सत्र था ‘साहित्याश्रय’ का धन्यवाद ज्ञापन, जिसमें शाहपुर के SDM जगन ठाकुर भी उपस्थित रहे। बाहर से आए साथियों के लिए हिमपाइन हैंडीक्राफ़्ट की चीड़ के पेड़ों की ट्रे “अनहद कृति की ओर से सप्रेम भेंट” के बारे में विवेक शर्मा ने जानकारी दी कि किस तरह इस कला की वस्तुएँ ज़मीन से इकट्ठी की गयी चीड़ की पत्तियों से ग्रामीण महिलाओं के हाथों बनाई जाती हैं - ग्रामीण महिला सशक्तिकरण में लगी हिमपाइन हैंडीक्राफ़्ट के इस स्मृतिचिंह की सभी ने तारीफ़ की। इसके साथ NYORD NGO की राकेश पथरिया रचित “काँगड़ा के लोकगीत एवं जीवन शैली” पुस्तक के बारे में बताया गया। पुष्पराज चसवाल ने इन दोनो संस्थाओं के उत्साहवर्धन के लिए अनुदान राशि के चेक उनको दिए। गौतम व्यथित, पुष्पराज चसवाल, प्रेमलता ‘प्रेमपुष्प’ और जगन ठाकुर ने मिल कर बाहर से आए साथियों, हिमाचली प्रतिभागियों, हिंदी-बिंदी कैम्प के बच्चों, होटल कश्मीर हाउस के पूरे स्टाफ़ को अनहद कृति के सहित्याश्रय के स्मृतिचिंह, पुस्तक, और प्रशस्ति पत्र भेंट किए। हिंदी बिंदी कैम्प के बच्चों को गोपाल कृष्ण भट्ट ‘आकुल’ (हिंदी वर्ग पहेली विज़र्ड) द्वारा रचित हिंदी वर्ग-पहेली संग्रह भी दिया गया। विभा चसवाल ने जगन ठाकुर को चसवाल दम्पत्ति की पुस्तकें भेंट की जिन्हें उन्होंने सहर्ष स्वीकार किया। सहित्याश्रय के सादे मंच पर आए हर व्यक्ति ने कार्यक्रम की प्रशंसा की और अनहद कृति कार्यकारिणी परिवार का धन्यवाद ज्ञापित किया और उनके उत्साह की भरपूर तारीफ़ की। यह सत्र औपचारिक कार्यक्रम का आख़िरी सत्र था। इसके बाद सभी ने एक साथ पाँतों में बैठ कर पत्तलों में ‘काँगड़ी धाम’ में तेलिये माश की दाल, मदरा, खट्टा, सेपु वड़ी, मीठे सिंदूरी चावल नामक हिमाचली खानों का मज़ा उठाया। क़रीब एक बजे शुरू हुआ खुले मंच का कवि-सम्मेलन ‘मिलवर्तन’ जो लगभग साढ़े-पाँच बजे तक चला, अदिति गुलेरी और विभा चसवाल के संचालन में चली इस गोष्ठी में 35 कवियों ने अपनी उत्कृष्ट रचनाओं से सभी का मन मोह लिया - नीरजा द्विवेदी ने वहीं सभागार में रचित होली पर अपनी कविता सुनाई। मस्ताना जी के मौसम के अनुरूप कविता से समा बांधा, युवा-कवि सर्वेश मिश्र ने माँ पर संवेदनशील कविता सुनाई, बबिता जी ने वट-वृक्ष का दर्द साँझा किया। महेश द्विवेदी ने शहर में बसी गंदी बस्ती की कहानी सुनाई। विजय पुरी ने सरकारी स्कूल के प्रेम में सराबोर पहाड़ी गीत सुंदर लय में सुनाया, शशि प्रभा ने अपनी कविता से पहले ‘कण कण फैलता आकाश मेरा’ पर अपनी समीक्षा के चंद अंश साँझे किए, प्रेमलता 'प्रेमपुष्प' की 'क्षुधा' को पुष्पराज चसवाल ने 'आहट' में जवाब दिया। आशा शैली ने ग़ज़ल गायी, दलजीत सैनी, प्रभात शर्मा, कुशल कटोच, प्रभा मजूमदार, गोपाल कृष्ण भट्ट आकुल, अदिति गुलेरी, सुरेश भारद्वाज ‘निराश’, लता रानी कपूर, राकेश पथरिया की कविताओं ने मन मोह लिया। अंत में गौतम व्यथित की प्राकृतिक सौंदर्य में सराबोर ग़ज़लों और कविताओं ने और हिमाचल की ओर से ‘धन्यवाद’ के कथन ने धौलाधार के अनुपम आशीर्वाद के समान अनहद कृति परिवार के सदस्यों के दिल में जगह बनाई। प्रेमलता ‘प्रेमपुष्प’ के अनुरोध पर विभा चसवाल ने भी अपनी एक कविता कार्यक्रम के अंत में सुनाई। कवि सम्मेलन के दौरान ही बाहर से आए कई साथियों को सबने विदा किया किंतु सुनने-सुनाने का सिलसिला निर्बाध गति से सुरम्यता से चलता रहा।
● धर्मशाला से विभा चसवाल की रिपोर्ट