कमला कृति

बुधवार, 25 जुलाई 2018

पाँच गीत-कल्पना 'मनोरमा'


चित्र गूगल सर्च इंजन से साभार



जाओ सावन के घन कारे..


जाओ सावन के घन कारे
जाकर बरसो उनके द्वारे ।

सँग ले जाना माँ की ममता 
और पिताजी की शाबाशी 
मत कहना कुछ मेरे मन की 
मैं तो हूँ बस उनकी  दासी 
रूखा-सूखा हाथ न लेना 
मधुरिम दिन दे आना सारे ।

आँगन की माटी ले जाना 
गलियों से ले जाना यारी
दामन में ले जाना भरकर 
बिटिया रानी की छवि प्यारी 
चुपके से दिखलाना उनको 
नैना सुधियों के रतनारे ।

सीमाएँ यदि सबल बनी तो 
समझूँगी आबाद हुए घर 
लाहकेंगीं फसलें खुशियों की 
छलक उठेंगे मन के सरवर 
हानि -लाभ का लेखा-जोखा 
रख जाना तुम यहीं किनारे ।

शुष्क वनों को यूँ सरसाना 
महक उठें जैसे वन चन्दन 
उदयाचल से अस्ताचल तक 
खुशियों का फैलाना वन्दन 
जयति जयति स्वर लाना उनके 
जिनमें बसते प्राण हमारे ।


नेह डोरी में तुम्हारी..


नेह डोरी में तुम्हारी बँध रहूँ 
या तोड़ दूँ 
ढीला पड़ा हर एक बंधन 
तय करेगी यह तुम्हारी ही 
सदेच्छा ॥

समय चौखट पर उगे 
भ्रम के उजाले 
ज्यों बुने हों मकड़ियों ने 
सघन जाले 
कामनायुत पलक से 
बहती रहूँ या धार लूँ 
उनको हृदय में साज स्यंदन 
तय करेगी यह तुम्हारी ही 
शुभेच्छा ॥

दीप खुश है पर शिखा 
भयभीत डोले 
तिमिर रह रह रोशनी का 
मन टटोले
आँधियों से जीत लूँ यह 
समर पहले 
फ़िर सजाऊँ चौक पूरित 
प्रणय आँगन 
तय करेगी यह तुम्हारी ही 
अपेक्षा ॥


हो गये दिन गुलमोहर से..


हो गये दिन गुलमोहर से 
ज्यों हुईं फसलें सुनहरी ॥

बिटिया पीहर आयेगी,
पाहुन आयेंगे 
किलकारी के कलरव से 
मन भर जायेंगे 
तुलसी की डालों पर होंगी 
मँजरियाँ भी 
दादी की लोरी में नाचेंगीं
परियाँ भी 

खुल कर हुए संवाद सच्चे 
ज्यों लगी सुख की कचहरी ॥

भोर कान्ता सी जायेगी 
महुआ बिनने 
सूरज आयेगा सतरंगी 
घूँघट बुनने 
कच-कच अमिया दाल पड़े,
छौँका महकेगा 
घनीभूत आशाओं में 
जीवन लहकेगा 

भर गये कोने खुशी से 
ज्यों हुईं मनहर दुपहरी ॥

अमराई सुर में भरकर 
कोयल गायेगी 
ठिठुरे घर के छज्जे 
पर चिड़ियाँ आयेँगी 
पायल मचलेगी गोदी 
में पाँव नये की 
सूखी टहनी बात कहेगी 
पात नये की 

हो गया नर्तन सजीला 
ज्यों हुईं काया छरहरी ॥


तुम्हीं बताओ !


तुम्हीं बताओ !
कैसी होगी फसल तुम्हारी ॥

कर्जे की गुर्राहट अब 
बर्दाश्त न होती 
जर्जर हालत पर,आशा 
भी आशा खोती 
छोटी फ्राकोँ में कब तक 
पेबन्द लगाऊँ
नरम डाल को बोलो कितना 
और झुकाऊँ

नींद नहीँ आती है खटिया 
देख खरारी 
तुम्हीं बताओ !

दाल हुई बनिया की बेटी 
पास न आती 
नये पाँव को पायल की 
मनुहार न भाती 
भोर, भुरारे से ले आती 
चटक दुपहरी 
लग जाती चिंता की,आँगन 
सघन कचहरी 

कब तक डालोगे फसलों में 
खाद उधारी 
तुम्हीं बताओ

तंग हो रहा धीरज का मन 
हिम्मत रूठी 
डर है सारी ही कसमें 
हो जायें न झूठी 
रोपी थी फुलवारी जो 
हमने सपनों की 
टूट न जाये माला मुक्ता-सी 
अपनों की 

कुछ तो करो जतन पूरी 
हो आस हमारी 
तुम्हीं बताओ !


क्या हुआ जो आ गए.. 


क्या हुआ जो आ गए 
ये श्याम बादल 
छाँह बिन बेचैन मन
जीवन हुआ है ।

मूँदने को है नहीं 
उनपर झरोखा 
और ये बौछार भीतर 
जा रही है 
लकड़ियाँ भी भीगकर 
सहमी हुईं हैं 
आग-चूल्हे में पड़ी 
सिसिया रही है 

क्या हुआ जो धुल गए 
हर डाल के दल
भूख से बेचैन मन 
बचपन हुआ है ।

दामिनी भरती छलांगें 
जब गगन से 
सिर छुपाने को नहीं 

मिलता ठिकाना 
बिहँसती होगी भले,
अट्टालिकाएं 
झोपड़ी को है कठिन 
खुद को बचाना 

क्या हुआ जो भर गए 
हैं कूप के तल 
कींच से बेचैन मन
दर्पन हुआ है ।


कल्पना 'मनोरमा'



  • जन्म- 4 जून, 1972 (ईकरी- इटावा )
  • शिक्षा - परास्नातक ,बी.एड. (हिन्दी )
  • पिता -श्री प्रकाश नारायण मिश्र
  • माता -स्व.मनोरमा मिश्रा 
  • प्रकाशित कृतियाँ- पहला गीत -नवगीत संग्रह प्रकाशनाधीन ।
  • सम्प्रति - स्नातकोत्तर शिक्षिका 
  • विशेष -स्वतंत्र लेखन
  • सम्पर्क-C-5 WAC SMQ, वायुसेना स्टेशन सब्रोटो पार्क, नई दिल्ली -110010
  • फोन-8953654363/9455878280
  • ईमेल-kalpna2510@gmail.com

सबरंग: पिता-पुत्र संबंध और ज्योतिषीय योग


चित्र गूगल सर्च इंजन से साभार


                                      गिरते नैतिक मूल्य जिम्मेदार


         पिता पुत्र का रिश्ता बहुत प्यारा होता है। माता तो सर्वाधिक पूज्यनीय है लेकिन पिता की भूमिका भी एक बेटे के भविष्य निर्माण में माता से कम नहीं होती। पिता एक पुत्र को पढ़ाने के लिए कितना परिश्रम करता है। पुत्र के सफलता के प्रत्येक कदम पे पिता के पसीने की महक होती है। उसकी हर सफलता पिता के परिश्रम की ऋणी होती है। आजकल पिता पुत्र संबंध भी खराब होने लगे हैं। बेटा ये भूल जा रहा है कि उसके एक सपने के पूरे होने में पिता ने कितनी रातें इस चिंतन में गुजरी होंगी कि कहीं मेरी वजह से उसका सपना टूट मत जाय। इन सबके पीछे गिरते नैतिक मूल्य जिम्मेदार हैं।
         ग्रह स्थितियां ऐसी स्थिति उत्पन्न कर देती हैं कि न चाहते हुए भी पिता पुत्र के संबंध खराब हो जाते हैं
,यहां तक कि संवाद भी समाप्त हो जाते हैं। आइये इस गंभीर विषय को ज्योतिष की नजर से विचार करते हैं। पिता का कारक ग्रह सूर्य होता है। नवम और दशम भव पर भी विचार आवश्यक है। सूर्य जब भी शनि के साथ रहेगा या दोनों एक दूसरे के घर में रहेंगे तो पिता से वैचारिक मतभेद देंगे। 
         यदि लग्नेश पंचम भाव में है तो पुत्र आज्ञाकारी होगी। पंचम का लग्न से संबंध ही पिता पुत्र संबंध को डिफाइन करता है। यदि पंचमेश 6,8 या 12 में है और मंगल या राहु का प्रभाव हो तो पुत्र और पिता के रिलेशन अच्छे नहीं होते। सूर्य पिता और गुरु पुत्र का कारक ग्रह है। जब भी ये दोनों ग्रह नीच राशि में होंगे तो समस्या उत्पन्न करेंगे। गुरु और राहु का साथ गुरु चांडाल योग देता है। राहु का सूर्य के साथ होना भी ठीक नहीं है।

पिता-पुत्र संबंध ठीक करने के उपाय..

-सूर्य पूजा। गायत्री मंत्र का जप।
-श्री आदित्यहृदयस्तोत्र का पाठ
-गुरु और सूर्य के बीज मंत्र का जप
-गुड़ का दान
-पीपल को जल अर्पण और मीठी चीज चढ़ाना
-पंचमेश और नवमेश की पूजा
-यदि पुत्र नियमित गुड़ ,चावल,लाल पुष्प मिश्रित जल भगवान सूर्य को अर्पित करे तो पिता से संबंध मधुर बन जाते हैं
-पिता पुत्र दोनो मदार की जड़ धारण करें
-किसी धार्मिक स्थान पे एक बेल का पौधा लगाएं
-प्रत्येक मंगलवार  को गाय को गुड़ खिलाएं और गुरुवार को केला खिलाएं।
-श्री रामचरितमानस का नियमित पाठ करें


सुजीत जी महाराज


संपर्क-9838762010
ईमेल-astrosujeet@gmail.com

ज्योतिष: कोई निर्णय आपके भविष्य की दिशा तय कर सकता है..


चित्र गूगल सर्च इंजन से साभार


                                      मासिक राशिफल: अगस्त -2018


 मेष-इस माह आप का मन ऊर्जा,उत्साह एवं उमंग से भरा होगा। मित्रों के सहयोग से कोई बड़ा कार्य संपन्न होगा। प्रेम संबंधों में प्रगाढ़ता लाएं। रिश्ते चलने के लिए विश्वास बहुत आवश्यक है,उसे कायम रखें। पीला रंग आपका शुभकारी रंग है। सुखद यात्रा का संयोग बनेगा। आपकी क्रिएटिविटी किसी बड़े समारोह में आपको पुरस्कृत भी कर सकती है। मंगल रियल स्टेट में लाभ देगा। मित्रों के सहयोग से कोई सरकारी कार्य संपन्न होगा। श्री हनुमान जी की उपासना करते रहें।

 वृष-अनिश्चितता का दौर समाप्त हो चुका है। निर्णय लेने का समय आ गया है। असमंजस ख़त्म हुआ।कोई स्वराशि तुला राशि का ही जातक इस माह आपकी सहायता करेगा। स्वच्छ सफ़ेद रंग धारण करें।प्रेम में विश्वास और सत्य का बहुत बड़ा हाथ होता है। झूठ बोलने से बचें।जाब में कोई निर्णय लेने में असमंजस से परेशानी आ सकती है।इस माह के मध्य में 15 के बाद धन प्राप्ति का योग और सामजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी।शुक्र धन और ऐश्वर्य प्रदान करेंगे।

 मिथुन-शिक्षा तथा प्रतियोगिता की दिशा में चल रहा प्रयास सार्थकता की तरफ बढ़ता नजर आ रहा हैl यह माह  व्यय भरा है।कोई नया कार्य प्रारम्भ होगा। जीवन साथी को शारीरिक कष्ट रहेगा।हरा और नीला आपका शुभ रंग है। भाई से लाभ की प्राप्ति। बुध आपकी राशि का स्वामी ग्रह है।श्री गणेश जी को प्रत्येक बुधवार को दूर्वा अर्पित करें।शुक्र धन देगा।बृहस्पति शिक्षा तथा प्रतियोगिता में लाभ करायेगा। संतान के शिक्षा के निमित्त धन का व्यय होगा।स्किन सम्बंधित रोग से सावधान रहें।गाय को पालक खिलाएं।

कर्क-सुदूर यात्रा की योजना मित्रों के साथ बनाएंगे। ससुराल से लाभ की प्राप्ति।संतान की सफलता से मन हर्षित रहेगा।मीन या धनु राशि का जातक आपको लाभान्वित करेगा। पीला तथा सफेद रंग का संयुक्त प्रभाव आपके लिए शुभकारी है।गाय को पालक खिलाएं।धार्मिक क्रिया कलापों में वृद्धि होगी और आध्यात्मिक उत्कर्ष की प्राप्ति होगी।राजनीति से संबद्ध जातक अति लाभान्वित होंगे। कोई बहुत दिनों से रुका कार्य पूर्ण होगा।संतान की शिक्षा हेतु धन का व्यय इस माह कुछ ज्यादा ही होगा।

 सिंह-तकनीकी तथा प्रबंधकीय सेक्टर के छात्र नए अवसरों की प्राप्ति करेंगे।अपनी राह खुद बनायें।आलस्य का पूर्णतया परित्याग करें।राजनीतिज्ञों को सफलता की प्राप्ति तथा उच्च नेताओं से लाभ की प्राप्ति।पीला और नारंगी आपका शुभ रंग है।मित्रों के साथ पर्यटन का आनंद प्राप्त करेंगे।15 से लाभ की प्राप्ति बहुत तेजी से प्रारम्भ हो जायेगी।प्रत्येक रविवार को तीन बार श्री आदित्यहृदयस्तोत्र का पाठ करें।राजनीती तथा प्रशासन से जुड़े लोग लाभांवित होंगे।

 कन्या-शिक्षा में उन्नति। यह समय कुछ नए लोगों से मिलने का है।सैर सपाटे का आनंद उठाएंगे।हरा रंग भाग्य उन्नतिकारक है।बड़े भाई का चरण स्पर्श कर आशीर्वाद प्राप्त करें।किसी समारोह में पुरस्कृत  हो सकते हैं।राजनीतिज्ञों से लाभ की प्राप्ति।गाय को पालक खिलाएं।कई बार आपको निर्णय लेने में भ्रम की स्थिति रहेगी।हरा रंग आपका शुभ रंग है।प्रत्येक बुधवार को श्रीविष्णुसहस्त्र नाम पुस्तक का पाठ करते रहें।इस समय आफिस में भी कुछ स्थितियां आपके प्रतिकूल चल रही है लेकिन आप उसपे अंततः विजय श्री प्राप्त का लेंगे

तुला-रोज निर्णय मत बदलें। आपका इस माह का निर्णय आपके भविष्य की दिशा तय कर सकता है। सुगन्धित इत्र का प्रयोग करें।कन्या या मिथुन राशि का कोई जातक आपके पास किसी नए बिज़नेस का प्रस्ताव लेके आएगा। हरा और नीला आपका शुभ रंग है।धन का आगमन।इस समय एक काम आप कर सकते हैं वो है अपने अच्छे संबंधों का सदुपयोग करना।इस समय यदि आप धन का निवेश रियल स्टेट में करना चाहते हैं तो आपके लिए शुभ समय है।राजनीतिज्ञों के लिए सफलता से परिपूर्ण माह बीतेगा।

वृश्चिक-किसी पुराने मित्र की सहायता से कोई बिगड़ा कार्य बनेगा।शिक्षा तथा प्रतियोगिता की दिशा में चल रहा प्रयास सार्थक होगा।लाल रंग आपके लिये शुभकारी है।गाय को केला खिलाएं।बड़े भाई का आशीर्वाद प्राप्त कर घर से बाहर निकलें।राजनीति में सफलता की प्राप्ति।प्रशासनिक सेवा से जुड़े लोग यश तथा प्रतिष्ठा की प्राप्ति करेंगे।संतान की सफलता से मन हर्षित रहेगा।कोई धनु या मीन राशि का व्यक्ति आपको व्यापार में लाभ पहुचाएगा।भाई की सहायता से कोई सरकारी कार्य पूर्ण होगा।

धनु-गृह कार्यों में व्यस्तता रहेगी। कोई अनचाही यात्रा भी हो सकती है। नया बिज़नेस डील संभव।जीवन साथी के साथ कहीं घूमने जायेंगे।उदर विकार से शारीरिक पीड़ा का अनुभव। पिता का चरण स्पर्श कर आशीर्वाद प्राप्त करें।पीला रंग शुभ है।शिक्षा तथा प्रतियोगिता की दिशा में चल रहा प्रयास सार्थक होगा।धन का व्यय होगा।इस महीने में मध्य के बाद अकस्मात कोई बड़ा लाभ आपको प्राप्त होगा। लेखन तथा पत्रकारिता से संबद्ध जातक यश तथा प्रतिष्ठा की प्राप्ति करते हुए किसी बड़े समारोह में पुरस्कृत हो सकते हैं।

मकर-लोहा,इलेक्ट्रॉनिक्स तथा कंप्यूटर विशेषकर शुक्र तथा शनि से संबंधित व्यापार करने वाले जातक इस माह अति लाभान्वित होंगे। मिथुन या कन्या राशि का जातक आपको लाभ देगा। नीला रंग शुभ है।छात्र पीले रंग का प्रयोग करें।राजनीति में सफलता की प्राप्ति होगी।संतान की सफलता से आनन्दित रहेंगे।किसी अनचाही यात्रा को भी करना पड़ सकता है। वाणी पे संयम रखें और क्रोध से बचें।

कुंभ-कोई पुराना मित्र मिलेगा। कार्य स्थल पे क्रोध मत करें। एकाएक क्रोध करना आपको परेशान कर सकता है और किसी अपने से मन मुटाव पैदा कर सकता है।हरा और नीला आपका शुभ रंग है। छात्र पीले रंग का प्रयोग करें।धन का आगमन होगा। गृह कार्यों में व्यस्तता रहेगी। जीवन साथी के साथ सुदूर धार्मिक यात्रा पे जा सकते हैं। कोई वृष या तुला राशि का जातक आपको लाभान्वित करेगा।

 मीन-आय प्राप्ति के नए स्रोत बनेंगे।पिता का चरण स्पर्श कर आनंद की प्राप्ति करें।पीला और सफ़ेद रंग का संयुक्त प्रभाव शुभ है।कर्क राशि के लोग आपके लिए हितकर हैं। छात्रों को नए अवसरों की प्राप्ति होगी।चिड़ियों को दाना पानी दें। धन का आगमन होगा। यदि आप अपने किसी योजना को इस महीने टालते हैं तो आपका बड़ा नुक्सान हो सकता है।संतान की सफलता से मन हर्षित रहेगा। धार्मिक यात्रा होगी।

श्री सुजीत जी महाराज


संपर्क-9838762010
ईमेल-astrosujeet@gmail.com

बुधवार, 18 जुलाई 2018

डाॅ. मधु प्रधान के गीत


चित्र गूगल सर्च इंजन से साभार


गीत के गाँव में..


गीत के गाँव में
दर्द की छाँव में 
प्रीति की बाँसुरी मैं बजाती रही
याद आती रही गीत गाती रही ।

कामना की नदी का उमड़ना सतत 
चाँद छूने को लहरें मचलने लगीं 
नेह की निर्झरी में कुमुदिनी खिली
थी युगों की उदासी पिघलने लगी 

किन्तु टूटा सपन 
छल गई इक किरन
फिर भी प्रिय वेदना गुनगुनाती रही ।

रेत के घर का बनना बिगड़ना है क्या 
खेल है बस कोई क्या संभाले इसे 
नीर के बुलबुले सा है जीवन क्षणिक 
कौन जाने लहर कब मिटा दे इसे 

जो मिले नेह पल 
भाव -भीने सरल 
रत्न सा मैं संजोती ,सजाती रही 
याद आती रही गुनगुनाती रही ।।
             
             

अर्घ्य ले हाथ में..

 
 अर्घ्य ले हाथ मे 
 मैं सुबह से खड़ी 
सूर्य निकला नहीं ,दोपहर हो गई ।

वे सुनहरे कथानक कहाँ खो गये
चन्दनी गीत थे आज क्या हो गये
अक्षरा थीं ऋचायें 
मधुर नेह की 
क्या हुआ दर्द की इक लहर हो गई ।

छूटी अमराइयाँ भूले कोकिल बयन 
बिखरे-बिखरे सपन ,भीगे भीगे नयन 
दौड़ते - भागते 
हाँफते-हाँफते 
जिन्दगी स्वेद से तर -ब -तर हो गई ।

भोर से शाम तक ,शाम से भोर तक 
गाँव की देहरी से क्षितिज छोर तक 
भटकता रहा मन 
कहाँ से कहाँ 
तीन पग बस चले थे उमर हो गई ।
अर्घ्य ले हाथ में 
मैं सुबह से खड़ी 
सूर्य निकला नहीं दोपहर हो गई ।

               

कुछ सुधियों के गीत..


कुछ सुधियों के गीत
और कुछ आँसू लाये हैं
आज अटारी पर कुछ
काले बादल छाये हैं ।

बेहतर होगा चुप रहने से 
कुछ भी तुम बोलो 
छोटी छोटी बातों पर 
मत रिश्तों को तोलो 

विरह पलों में दोनों ने ही 
अश्रु बहाये हैं ।

याद तुम्हें भी तो होंगी 
वह मीठी सी बातें 
वो सोने से दिन मोहक 
चांदी जैसी रातें 

हँसती हुई जुन्हाई के
कुछ पल मुस्काये हैं ।

मनुहारों के गीत गा रही 
कोयल रस घोले 
उम्मीदों की सोन चिरैया 
पंखों को खोले 

अलसाई पलकों के 
मृदु सपने अकुलाये हैं 
     

कचनारी धूप 

         
मेरे आँगन में 
उतरी है
कोमल सी 
रतनारी धूप ।

नर्म हुये सूरज के तेवर
नयन अधखुले 
अलसाये से 
बाँह छुड़ा कर 
दौड़ गई है 
बिखरी क्यारी-क्यारी धूप ।

जैसे उड़ती 
सोन चिरैया 
आ मुँड़ेर पर 
बैठ गई हो 
कुछ पल रुक कर 
घूम रही है 
घर, आँगन बंसवारी धूप ।

पी से मिल 
लौटी मुग्धा सी 
चहक रही 
कुछ लजा रही 
किस से मन को 
हार गई है 
छुईमुई कचनारी धूप 
     

मौसम के तेवर 

     
बिन बोले बदला करते हैं 
मौसम के तेवर ।

कई दिनों से ठंडा है 

यह लिपा-पुता चूल्हा 
बिन ब्याहे लौटी बारात का 
जैसे हो दूल्हा 

उम्मीदें कच्ची दीवार सी 

ढहती हैं भर-भर । 

बरस रहे बादल, कहते हैं

बरस रहा सोना 
खाली हैं बर्तन ,घर का 
खाली कोना -कोना 

पूस -माघ की सर्दी 

उस पर टपक रहा छप्पर ।

हमरेहू कब दिन बहुरेंगे 

पूछ रही धनिया
जब उधार मांगें तो 
लौटा देता है बनिया 

क्या बेचूँ ,गिरवी रक्खे हैं 

घर के सब जेवर ।

कुछ तो कहो प्रधान

दिखाये सपने बड़े -बड़े 
एक कदम भी बढ़े नहीं
हम तो हैं यहीं पड़े 

पूरी ताकत से हो हाकिम 

तुमको  किसका डर ।



डाॅ. मधु प्रधान 


  • जन्मतिथि-20 मार्च, 1948 (पुखरायां-कानपुर)
  • पति-स्व. राम प्रकाश सक्सेना (एडवोकेट)
  • पिता-डाॅ. बलराम चरन प्रधान
  • माता-श्रीमती यशवन्त कुमारी 'यश'
  • शिक्षा- एम०ए० (हिन्दी) बी०एड०, एम०बी०ई०एच० त्रिवर्षीय चिकित्सा डिप्लोमा 
  • कार्यक्षेत्र- गीत, छंदमुक्त, गजल और मुक्तक दोहे आदि छंदों में निरंतर रचनाशील। इसके अतिरिक्त बाल साहित्य में विशेष रुचि। 
  • प्रकाशन-'नमन तुम्हें भारत' (राष्ट्रीय गीत संग्रह)। अनेक गीतों, गजलों, बालगीतों तथा बालकथा संग्रहों में रचनाएँ संकलित। आकाशवाणी व दूरदर्शन द्वारा निरंतर प्रसारित। 
  • सम्मान पुरस्कार- विभिन्न साहित्यिक व सांस्कृतिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित एवं पुरस्कृत। 
  • सम्पर्क-3 A/58 -A, आजाद नगर, कानपुर-208002
  • फोन-09236017666, 08562984895
  • ईमेल- madhu.pradhan.kanpur@gmail.com 

परिक्रमा: विश्व मैत्री मंच द्वारा हेमंत स्मरण




           जनवादी कवि हेमंत की जयंती पर विश्व मैत्री मंच द्वारा भोपाल में हेमंत स्मरण एवं कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की संयोजक संतोष श्रीवास्तव ने सभी का स्वागत  करते हुए हेमंत का परिचय दिया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि उर्वशी के संपादक डॉ राजेश श्रीवास्तव ने 22 वर्षीय हेमंत को याद करते हुए कहा कि उनमें गहरी एंद्रिकता के साथ-साथ आर-पार दृष्टि की समझ थी। कार्यक्रम की अध्यक्ष लघुकथा टाइम्स की संपादक कांता राय ने हेमंत की कविताओं में अन्याय और शोषण के खिलाफ आवाज उठाने की क्षमता का उल्लेख करते हुए कहा भोपाल के कण कण में हेमंत विचार बनकर स्थापित हुए हैं। उन्होंने हेमंत की कविता " सांसों का सफर " का पाठ किया।

          हेमंत की बहुचर्चित कविता "मेरे रहते" का पाठ करते हुए अक्षरा की सहयोगी संपादक जया केतकी ने हेमंत की कविताओं में मृत्युबोध का उल्लेख किया। कार्यक्रम में 30 कवियों ने कविताएं सुनाई । संचालन सीमा शिवहरे ने तथा आभार विनीता राहुरीकर ने व्यक्त  किया।

प्रस्तुति-संतोष श्रीवास्तव


सबरंग: 'ख्वाबों के पैरहन' का लोकार्पण


'ख्वाबों के पैरहन' का लोकार्पण करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार गंगा प्रसाद विमल ।

       
       " संयुक्त उपन्यास लेखन विधा में यह उपन्यास जरूरी दखल रखता हुआ लेखिका बहनो संतोष श्रीवास्तव और प्रमिला  वर्मा द्वारा लिखा गया निश्चित ही अपनी विशेषताओं से पाठकों को  आकर्षित करेगा ।" ये वाक्य विश्व पुस्तक मेले के लेखक मंच पर ख्वाबों के पैरहन का लोकार्पण करते हुए मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार गंगा प्रसाद विमल ने अपने वक्तव्य में कहे ।

        कार्यक्रम उपन्यास के प्रकाशक किताब वाले पब्लिकेशन द्वारा आयोजित किया गया। कार्यक्रम के अध्यक्ष मशहूर साहित्यकार दिविक रमेश ने भी उपन्यास के प्रति शुभकामनाएं व्यक्त की तथा उपस्थित श्रोताओ को  उपन्यास का समर्पण पढ़कर सुनाया। "औरत के लिए ......जिसका कभी कुछ नहीं होता ,मगर रच देती है संसार नया।" उन्होंने इस समर्पण की प्रशंसा की । अपने वक्तव्य में संतोष श्रीवास्तव ने जहां एक ओर उपन्यास की रचना प्रक्रिया का और उसके पात्रों के साथ खुद को ढाल लेने का रोचक वर्णन किया वहीं दूसरी ओर प्रमिला वर्मा ने बताया कि "उपन्यास के 16 अध्याय में से 8 मैंने और 8 संतोष ने लिखे । जबकि हम कहानी बिल्कुल डिस्कस नहीं करते थे।" कार्यक्रम का संचालन दिल्ली के करोडीमल कॉलेज के प्रोफेसर संजय वर्मा ने किया।

          समारोह में वर्धा से आये महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय विश्व विश्वविद्यालय वर्धा के डीन डॉ अंकित, झांसी से आए साकेत सुमन चतुर्वेदी, मुम्बई से आए वरिष्ठ पत्रकार लेखक हरीश पाठक, शिमला से आए एस आर हरनोट, प्रेम जनमेजय ,गिरीश पंकज ,प्रभा सिंह ,मातृभारती से जयेश खत्री ,रायपुर से मधु सक्सेना ,नीरजा शर्मा सभी की गरिमामयी उपस्थिति में कार्यक्रम संपन्न हुआ।

बुधवार, 11 जुलाई 2018

दस्तक: पाँच गीत-छाया त्रिपाठी ओझा


चित्र गूगल सर्च इंजन से साभार


अन्तर्मन में सुस्मृतियों के.. 


अन्तर्मन में सुस्मृतियों के बीज रोज बो लेती हूँ
याद तुम्हारी आती है तो थोड़ा सा रो लेती हूँ ।

प्रश्न कई जब उठकर दिल में ,
करने लगते खींचातानी !
गढ़ते नहीं भाव भी आकर
फिर से कोई नयी कहानी !

नयनों में ले नीर सुनो तब, पीर सभी धो लेती हूँ, 
याद तुम्हारी आती है तो थोड़ा सा रो लेती हूँ ।

सौतन बनकर बैठ गयी है,
अपने द्वारे भले निराशा !
मगर छिपी इन संघर्षों में
जाने कैसी कोमल आशा !

पलकों में स्वप्निल इच्छाएँ, रखकर मैं सो लेती हूँ,
याद तुम्हारी आती है तो थोड़ा सा रो लेती हूँ ।

दिखे नहीं अपनी भी छाया
धुंध कभी जब आकर घेरे !
पथ में बन अवरोध खड़े हों
पहरों तक घनघोर अँधेरे !

दीप जला तब नाम तुम्हारे,संग सदा हो लेती हूँ !
याद तुम्हारी आती है तो थोड़ा सा रो लेती हूँ ।


जीवन की इस तेज धूप में..


जीवन की इस तेज धूप में
झुलस झुलस मुरझाये सपने !

घर पावन सा वो मिट्टी का
नेह मिले जो अपने हिस्से !
छूट गया अम्मा का आँचल
नहीं  रहे  नानी के किस्से !
गुड्डे गुड़ियों के सँग कितने
हमने  खूब  सजाये सपने !
जीवन की..

पीहर गयी खुशी ज्यों अपने
धड़कन धड़कन भटकें यादें !
अधरों पर है मौन सुशोभित
अंतस  में  चिहुँकें  फरियादें !
देख देख ऋतुओं के मन को
नयनों  ने  छलकाये  सपने !
जीवन की..

विस्मृत हो  जाते दुख सारे,
और न आकर छलतीं रातें !
अपने  पाँव  धरे  फूलों  पर 
साथ  हमारे  चलती   रातें !
निष्ठुर जग के ही द्वारे पर
जा जाकर मुस्काये सपने !
जीवन की..


बैठ भाग्य को जी भर..


बैठ भाग्य को जी भर कोसा !
मेहनत पर अब नहीं भरोसा !!

दरवाजे दीवाली होली 
खाली जेबें खाली झोली 
देख देख मेरी लाचारी 
हँसे गरीबी बस बेचारी
लाकर भोजन जब थाली में
फिर अम्मा ने आज परोसा !

जीवन भर करते मजदूरी 
इच्छाएँ पर रहीं अधूरी 
गिरवी रख कर सब कुछ अपना 
देखा था कुछ माँ ने सपना 
सोच सोच भर अाती आँखें 
कैसे मुझको पाला पोसा !

खाँसे बापू बिना दवाई 
भाई बैठा  छोड़ पढ़ाई 
करके कर्म बहुत है देखा 
किन्तु न बदली अब तक रेखा 
भ्रष्ट बाबुओं के घर चाँदी 
दिन भर चलता चाय समोसा !


हो जाये मन पहले जैसा..


हो जाये मन पहले जैसा !
कह दो मीत आज कुछ ऐसा !

थम जाए नयनों का पानी
रुके हृदय की भले रवानी
नेह सुधा यों बरसाओ तुम
हो जाए फिर चूनर धानी
अगर साथ तुम फिर दुख कैसा !
कह दो मीत..

अंतर की पीड़ा मिट जाए
नजर तुम्हारी आस जगाए
जब जब याद करूँ मैं तुमको
मन का दीप स्वयं जल जाए
क्या करना है रुपया पैसा !
कह दो मीत..

आकर  बैठो पास  हमारे
आँचल में टाँको तुम तारे
फूलों की झुक जाए डाली
और हवा फिर बाल सँवारे
मिल जाए जैसे को तैसा !
कह दो मीत..


कभी नहीं कुछ कहते आँसू ..


कभी नहीं कुछ कहते आँसू !
बस चुपके से बहते आँसू !!

गिरतीं हों ज्यों जल की बूँदें, 
मौन वेदना आँखें मूँदें, 
बहती जाए अविरल धारा, 
पूछ पूछकर दिल भी हारा, 
नयनों तक से अपनी पीड़ा, 
व्यक्त नहीं हैं करते आँसू !
बस चुपके..

इस जग के रिश्ते नातों से,
सब खट्टी मीठी बातों से,
भूल गए कुछ भी अब कहना, 
सीख लिये जैसे चुप रहना,
सारी पीर अकेले छिपकर, 
जाने कैसे सहते आँसू !
बस चुपके..

सुख दुख में भी खूब पले ये,
पुरवाई के संग ढले ये, 
तोड़ चले शब्दों से नाता, 
मुखरित होकर मौन बताता,
मोहक हर शृंगार पुष्प से,
बिना छुए ही झरते आँसू !
बस चुपके..


छाया त्रिपाठी ओझा


जनपद न्यायालय परिसर
निकट - डाक घर
ब्लाक सी -10, फतेहपुर
जनपद -फतेहपुर (उ.प्र)
पिन -- 212601
ईमेल - tripathi.chhaya21@gmail.com

परिक्रमा: डॉ. ऋषभदेव शर्मा सहित दस लेखक-पत्रकार सम्मानित


डॉ. ऋषभदेव शर्मा सहित सम्मानित लेखक-पत्रकार


          लोकतंत्र और समकाल के सापेक्ष साहित्य और मीडिया पर समग्र मंथन


       पुराण-प्रसिद्ध तमसा नदी के तट पर बसे नगर आजमगढ़ में हर दूसरे वर्ष  मीडियाकर्मियों और साहित्यकारों  का जलसा होता जो आजमगढ़ की पहचान और परंपरा में बदलाव का प्रतीक बनता जा रहा “मीडिया समग्र मंथन – 2018” के रूप में  इस वर्ष यह जलसा पिछले दिनों जनपद मुख्यालय के नेहरु हाल में संपन्न हुआ। इस अवसर पर ‘शार्प रिपोर्टर’ द्वारा उच्च शिक्षा और शोध संस्थान, दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा, हैदराबाद के पूर्व आचार्य एवं अध्यक्ष डॉ. ऋषभदेव शर्मा को साहित्य, लोक साहित्य एवं विविध लेखन के लिए ‘विवेकी राय स्मृति साहित्य सम्मान-2018’ से विभूषित किया गया. साथ ही पत्रकारिता व साहित्य जगत  की  दस विभूतियों को आजमगढ़ अंचल की विश्वप्रसिद्ध महान विभूतियों की स्मृति में सम्मानित किया गया।  सम्मानित विद्वानों में डॉ.  योगेन्द्रनाथ शर्मा अरुण को ‘महापंडित राहुल सांकृत्यायन स्मृति साहित्य सम्मान-2018’, गिरीश पंकज को ‘मुखराम सिंह स्मृति पत्रकारिता सम्मान-2018’, जयशंकर गुप्त को ‘गुंजेश्वरी प्रसाद स्मृति पत्रकारिता सम्मान-2018’, पुण्यप्रसून वाजपेयी को ‘सुरेंद्र प्रताप सिंह स्मृति टीवी पत्रकारिता सम्मान-2018’, यशवंत सिंह को ‘विजयशंकर वाजपेयी स्मृति पत्रकारिता सम्मान-2018’, विजयनारायण को ‘शार्प रिपोर्टर लाइफटाइम एचीवमेंट अवार्ड-2018’, सतीश सिंह रघुवंशी को ‘शार्प रिपोर्टर युवा पत्रकारिता सम्मान-2018’ तथा  डॉ. मधुर नज्मी को ‘अल्लामा शिब्ली नोमानी स्मृति अदबी अवार्ड-2018’ दिया गया। सम्मान समारोह की अध्यक्षता वर्धा से पधारे प्रो. देवराज ने की। इस द्विदिवसीय राष्ट्रीय विमर्श के अवसर पर ‘शार्प रिपोर्टर’ मासिक पत्रिका के उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड विशेषांक का विमोचन भी किया गया। 

       उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता रुड़की से पधारे जैन साहित्य के विशेषज्ञ डॉ. योगेंद्रनाथ शर्मा अरुण ने की. उद्घाटन सत्र में दिल्ली से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के चर्चित पत्रकार पुण्य प्रसून वाजपेयी का  लाइव टेलीकास्ट के माध्यम से संवाद अत्यंत विचारोत्तेजक रहा। उन्होंने प्रतिभागियों के प्रश्नों के बेबाकी से जवाब भी दिए। उन्होंने  कहा कि भारत में राजनीतिक सत्ता ही सब कुछ नियंत्रित करना चाहती है। 
पहले दिन के मुख्य विचार सत्र‘मीडिया, लोकतंत्र और हमारा समय’ का विषय प्रवर्तन करते हुए महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता प्रो. देवराज ने लोकतंत्र के बारे में लोहिया, अंबेडकर और नरेंद्रदेव के योगदान का  स्मरण किया। उन्होंने तीनों विद्वानों के बारे में बताया कि वे ऐसा लोकतंत्र चाहते थे, जिसमें व्यक्ति महज मत न होकर मूल्य होना चाहिए, सौंदर्य की कसौटी गौर नहीं श्याम वर्ण को होना चाहिए तथा  विचार की आवश्यकता और उसकी स्वतंत्रता के अनुकूल वातावरण होना चाहिए। उन्होंने चिंता जताई कि  लोकतंत्र में लोक की भागीदारी कम हुई है तथा  पिछले सात दशक में सबसे अधिक उपेक्षा शिक्षा और संस्कृति की हुई उन्होंने कहा कि जब मीडिया ने अपनी रखवाली करने की कोशिश की तब उसे सकारात्मक बने रहने के नाम पर उद्देश्य से भटका दिया गया है। सकारात्मक मीडिया के नाम पर मीडिया भटकाव की राह पर है। सकारात्मक या नकारात्मक कुछ नहीं होता जो आप देते हैं वही जरूरत है। आज सकारात्मक वह है जो सत्ता को सुख पहुँचाए। मीडिया को इससे बचकर देश के ज़मीनी यथार्थ से जुड़ना होगा अन्यथा आने वाला समय उसे माफ़ नहीं करेगा। 

       ‘मीडिया से उम्मीदें’  पर केंद्रित विचार सत्र में विविध प्रांतों से आए मीडियाकर्मियों ने  अपने अनुभव साझा किए। ‘आज तक’ के पत्रकार रामकिंकर ने कहा कि मीडिया की निष्पक्षता को लेकर कितनी भी आलोचना क्यों न करें लेकिन जब लोग संकट मे होते हैं तो वे अपनी आवाज उठाने के लिए मीडिया के पास ही आते है। ‘मीडिया मिरर’ के संपादक प्रशांत राजावत ने कहा कि मीडिया में जो सच्चाई परोसना चाहता है उनकी आवाज मीडिया के लोग ही निजी स्वार्थ की चाहत में दबा देते हैं। जुझारू पत्रकार अखिलेश अखिल ने बिहार में सत्ताधीशों द्वारा पत्रकारों की आवाज दबाने के लिए अपनाए जाने वाले हथकंडों की जानकारी दी और अपने उत्पीड़न की दास्तां सुनाई।वरिष्ठ पत्रकार जयशंकर गुप्त ने मीडिया को कमजोर करने के लिए सरकार द्वारा बनाए जा रहे मनमाने कानूनों पर सवाल उठाए। पत्रकार अतुल मोहन सिंह ने कहा कि पत्रकार को खबरों के साथ न्याय करना चाहिए। अनामी शरण बबल ने कहा कि हम अंतहीन महाभारतकाल में जी रहे हैं और  समाज नपुंसकता  की ओर जा रहा है। ‘भड़ास 4 मीडिया’ के संचालक एवं सोशल मीडिया विशेषज्ञ यशवंत सिंह ने कहा कि आधुनिक समाज में समस्त परिवर्तन टेक्नालाजी से आए हैं, विचार से नहीं। अतः टेक्नालाजी से ही क्रांति भी लाई जा सकती  है और लोकतंत्र को बचाया जा सकता है।

      दूसरे दिन ‘लोकतंत्र, साहित्य व हमारा समय’ विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा के पूर्व आचार्य  डॉ.  ऋषभदेव शर्मा ने कहा कि भारत में लोकतंत्र अभी प्रयोग की दशा में है तथा उसे असफल घोषित करना जल्दबाजी माना जाएगा। हर चुनाव में भारतीय जनता निरंतर परिपक्वता के प्रमाण देती है और संसदीय लोकतंत्र के निजी प्रादर्श की उसकी तलाश अभी जारी है। उन्होंने आगे कहा कि हमारा समय निस्संदेह खतरनाक  समय है जिसमें सारी दुनिया आतंक, युद्ध और तानाशाही की ओर बही जा रही है लेकिन  सृष्टि का इतिहास गवाह है कि खतरों के बीच ही मनुष्यता ने सदा नई राहें खोजी हैं। वर्तमान में मीडिया और साहित्य को इस चुनौती का सामना करना है और लोकतंत्र के विकेंद्रीकरण द्वारा जनपक्ष को मजबूती प्रदान करने की जिम्मेदारी निभानी है। उन्होंने विरुद्धों के सामंजस्य के भारतीय दर्शन को व्यावहारिक रूप देने का आह्वान करते हुए समकालीन साहित्य के जुझारू तेवर की प्रशंसा की।

       इस सत्र के  मुख्य वक्ता  मदनमोहन मालवीय हिंदी पत्रकारिता संस्थान, काशी विद्यापीठ के निदेशक प्रो. ओमप्रकाश सिंह ने कहा कि समाज के कल्याण के लिए लिखा गया साहित्य ही श्रेष्ठ होता है। उन्होंने कहा कि आजादी से राजसत्ता तो मिली मगर विचारसत्ता को भुला दिया गया। उन्होंने यह भी कहा कि नागरिक आचरण गिर रहा है। उस पर संवाद आखिर कब होगा? नागरिक ही पत्रकार, साहित्यकार व मतदाता होता है। उसका आचरण खराब होगा तो लोकतंत्र कैसे आएगा? वरिष्ठ व्यंग्यकार गिरीश पंकज ने अध्यक्षासन से संबोधित करते हुए कहा कि साहसी साहित्यकार और पत्रकार कभी समझौता नहीं करता । उन्होंने कहा कि सही  कलम वही  होती है जो किसी भी परिस्थिति में न रुके, न झुके और न ही बिके। पहले दिन भोजपुरी गायिका चंदन तिवारी की लोक आधारित गीत संध्या विशेष रसपूर्ण  रही तो दूसरे दिन के अर्धरात्रि के बाद तक चले  कवि सम्मेलन व मुशायरे ने आयोजन को नई ऊँचाई दीजिसमें महेन्द्र अश्क, हैदर किरतपुरी, डॉ. मधुर नज्मी जैसे दिग्गज कवियों ने रचना पाठ किया. 

इस अवसर पर  तीन प्रस्ताव भी पारित किए गए जिनमें आजमगढ़ में महापंडित राहुल सांकृत्यायन के नाम पर केंद्रीय विश्वविद्यालय की मांग,  पत्रकारों की राष्ट्रव्यापी सुरक्षा के लिए केंद्र व राज्यों की सरकारों द्वारा  तुरंत प्रभावी कानून बनाए जाने की मांग और अपना दायित्व निभाते हुए पत्रकार की हत्या पर या मौत पर उसके परिवार को शहीद सैनिकों के परिवार जैसी सुविधा दी जाने की माँग की गई।कार्यक्रम का सफल संचालन अमन त्यागी ने किया तो शार्प रिपोर्टर पत्रिका के संपादक अरविंद सिंह व संस्थापक वीरेंद्र सिंह ने अतिथियों का भावपूर्ण स्वागत किया।


प्रस्तुति- डाॅ. चंदन कुमारी 


c/o संजीव कुमार IDAS, 
एकाउंट्स ऑफिस,स्माल आर्म्स फैक्टरी, 
अरमापुर, कानपुर-208009 
उत्तर प्रदेश

सबरंग: ज्योतिष और शैक्षणिक कैरिएर




         जन्मकुंडली का पंचम भाव शिक्षा का होता है। लग्न और नवम भाव पर भी विचार आवश्यक होता है। यदि लग्न का स्वामी पंचम,नवम् या केंद्र भाव में है तो जातक की शिक्षा शानदार होती है।यदि पंचम भाव में सूर्य है तो प्रशासनिक सेवा की तैयारी करना चाहिए। मंगल पुलिस सेवा देता है। शनि तकनीकी फील्ड,विधि और मेडिकल एजुकेशन देता है। चन्द्रमा भी शानदार एकेडमिक एजुकेशन देकर प्रोफेसर बनाता है। शुक्र मीडिया और फिल्म तथा फाइनेंसियल फील्ड सी ए इत्यादि बनाता है। बुध टॉप क्लास का एम बी ए कराता है।

         नवम भाव भाग्य का होता है।यदि नवम भाव में पुण्य ग्रह बृहस्पति,चन्द्रमा,शुक्र बैठा है तो जातक बहुत सफल होता है। पंचम भाव में गुरु और चन्द्रमा का योग जातक को टॉपर स्टूडेंट बनाकर उच्च कोटि का अधिकारी बनाता है। मेष और वृश्चिक राशि के जातक प्रशासनिक सेवा की तैयारी करें। वृष और तुला का बच्चे एम बी ए और पत्रकारिता,लॉ तथा फ़िल्म डायरेक्शन के फील्ड में जाय। मिथुन तथा कन्या के छात्र प्रबन्धन,ला,और टीचिंग फील्ड में प्रयास करें। कर्क और सिंह राशि के बच्चे प्रशासन और उच्च न्यायिक सेवाओं में जाते हैं। धनु तथा मीन के छात्र विद्वान होते हैं। ये किसी फील्ड में जायेंगे टाप पे रहेंगे।
      अंक ज्योतष से जन्मांक 1 के छात्र प्रशासन में ।2 के मेडिकल,3 के प्रशासन तथा ला में,4 के इंजीनियरिंग,5 के मेडिकल,6 के विधि और प्रबंधन,7 के पत्रकारिता और फ़िल्म,8 के इंजीनियरिंग और मेडिकल तथा 9 जन्मांक के विद्यार्थी प्रशासनिक सेवा की तैयारी करें तो बेहतर होगा। इसके अलावा खूब परिश्रम करें।याद रखें कठिन परिश्रम का कोई विकल्प नहीं होता। परिश्रम का भाव दशम और पंचम है। जितनी मेहनत आप करेंगे उतनी सफलता मिलेगी लेकिन नवम अर्थात भाग्य भाव का मजबूत होना भी आवश्यक है। यदि भाग्येश केंद्र या त्रिकोण में है तो सफलता जल्द मिलती है।


  • श्री सुजीत जी महाराज


परिक्रमा: मानव संसाधन विकास के नए आयाम’ पुस्तक लोकार्पित


डॉ. मोहसिन उद्दीन की पुस्तक “मानव संसाधन विकास के नए आयाम : भारतीय 
परिप्रेक्ष्य” का लोकार्पण

           
          काचिगुड़ा (हैदराबाद) स्थित बद्रुका कॉलेज के सभाकक्ष में बुधवार को हिंदी अध्यापकों और लेखकों की संस्था ‘हिंदी हैं हम विश्व मैत्री मंच’ की साहित्यिक सभा आयोजित की गई जिसकी अध्यक्षता प्रो. शकुंतला रेड्डी ने की तथा संयोजन डॉ. रियाजुल अंसारी ने किया। मुख्य अतिथि प्रो. ऋषभदेव शर्मा ने एनआईआरडी में वरिष्ठ प्रोजेक्ट फ़ैकल्टी के रूप में कार्यरत डॉ. मोहसिन उद्दीन की सद्य:प्रकाशित पुस्तक “मानव संसाधन विकास के नए आयाम : भारतीय परिप्रेक्ष्य” को लोकार्पित किया। लोकार्पण वक्तव्य में प्रो. शर्मा ने कहा कि यह पुस्तक प्रबंधन जैसे आधुनिक विषय पर स्तरीय पाठ्यपुस्तकों के अभाव की पूर्ति का एक सफल प्रयास है। उन्होंने प्रत्येक अध्याय में सम्मिलित वास्तविक समस्याओं के अध्ययन और उससे जुड़े अभ्यासों के समावेश की विशेष प्रशंसा की।

             इस अवसर पर डॉ. ऋषभदेव शर्मा के 62वें जन्मदिन के उपलक्ष्य में उनकी चर्चित स्त्रीवादी काव्यकृति ‘देहरी’ के राजस्थानी अनुवाद की पांडुलिपि अनुवादिका डॉ.मंजु शर्मा द्वारा उन्हें भेंट की गई। मंच की ओर से अतिथियों का स्वागत-सत्कार डॉ. विद्याधर, डॉ. राजेश अग्रवाल, डॉ. पूर्णिमा शर्मा, डॉ. गुर्रमकोंडा नीरजा, डॉ. संध्या दास और शीला इंगले ने किया। समारोह को जीवंत बनाने में चिरक इंटरनेशनल स्कूल की छात्राओं के विचारोत्तेजक प्रश्नों की विशेष भूमिका रही। डॉ. सुषमा, डॉ. बी एल मीणा, डॉ. प्रभा कुमारी, डॉ. सुपर्णा बंद्योपाध्याय, डॉ. सीमा मिश्रा, अशोक तिवारी, फ़ौजिया बेगम, वुल्ली कृष्णा और जयदीप मुखर्जी आदि ने हिंदी भाषा से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर इस चर्चा में सक्रिय भागीदारी निभाई ।  


प्रस्तुति : डॉ. गुर्रमकोंडा नीरजा


सह-संपादक : ‘स्रवंति’,
दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा,
हैदराबाद-500004.