महात्मा गांधी के आदर्शों एवं विचारधारा से प्रेरणा प्राप्त स्व. के. वासुदेवन पिल्लै ने 1934 में केरल हिन्दी प्रचार सभा की स्थापना की। वर्तमान में इसके मंत्री हैं अधिवक्ता मधु बी.। इस समय यह सभा मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा स्थापित अखिल भारतीय हिंदी संस्था संघ, नई दिल्ली की सदस्य संस्था है। सभा केरल की एकमात्र स्वैच्छिक हिंदी प्रचार संस्था है। सभा की मुखपत्रिका केरल ज्योति के माध्यम से केरल की हिंदी विषयक गतिविधियों को पूरे भारत में फैलाने का प्रयास हो रहा है। राष्ट्रीय एकता को सुदृढ़ करने में और अनुवाद के जरिये भाषाई आदान-प्रदान को प्रोत्साहन देने में केरल ज्योति पत्रिका सदा जागरूक रहती है। 'राष्ट्रज्योति पब्लिशेरेस' केरल हिंदी प्रचार सभा का एक नया उद्यम है जिसका उद्देश्य केरल जैसे अहिंदी प्रदेश के हिंदी लेखकों को अपनी कृतियों के प्रकाशन और मुद्रण में सुविधा प्रदान करना है। लेखक और साहित्यकार इस सुविधा का उपयोग कर रहे हैं। केरल हिंदी प्रचार सभा के वर्तमान मंत्री अधिवक्ता मधु. बी. की कल्पना की ही उपज है राष्ट्रज्योति पब्लिशेरेस।
भारत सरकार की राजभाषा नीति के कार्यान्वयन और राजभाषा के रूप में हिंदी के सर्वमान्य स्वरूप का विकास करने के लिए सभा द्वारा अधिवक्ता मधु के नेतृत्व में राज्य स्तर पर हिंदी दिवस, हिंदी सप्ताह या हिंदी पखवाड़ा मनाया जाता है। इस सिलसिले में राजभाषा प्रदर्शनी, राजभाषा कार्यशाला, भारतीय भाषा कवि सम्मेलन, संगोष्ठियां, भारतीय साहित्य सम्मेलन, पुस्तकों का लोकार्पण, कर्मचारियों और छात्रों के लिए प्रतियोगिताएं आदि कार्यक्रमों का आयोजन करने में केरल हिंदी प्रचार सभा के मंत्री के रूप में अधिवक्ता मधु का उत्साह सराहनीय है। वे 1983 से केरल हिंदी प्रचार सभा के प्रचारक हैं और उनका सारा जीवन ही हिंदी के साथ जुड़ा हुआ है। वे अरविंद हिंदी कॉलेज के संस्थापक और आचार्य रहे। केरल हिंदी प्रचार सभा द्वारा संचालित कला, सांस्कृतिक तथा मनोरंजन के विविध कार्यक्रमों में उनकी सक्रिय भागीदारी होती है। उन्होंने सभा में प्रस्तुत नाटकों में अभिनय भी किया है। मलयालम नाटक के हिंदी अनुवाद के लिए 1989 में वे पुरस्कृत भी हुए। सिर्फ राष्ट्रभाषा के माध्यम से ही नहीं, बल्कि सैनिक सेवा से भी मधु जी ने राष्ट्र की सेवा की है। सेवा के दौरान जम्मू कश्मीर, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, असम, गुजरात, उत्तर प्रदेश आदि में सेवा करने से उनको विविध प्रदेशों के जन-जीवन एवं सांस्कृतिक वैविध्य का प्रत्यक्ष ज्ञान मिला है। उनके नेतृत्व में वयोवृद्ध हिंदी प्रचारकों को स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के रूप में मान्यता दिलाने के लिए वर्ष 1990 में तत्कालीन प्रधानमंत्री माननीय वी.पी. सिंह को कोझिकोड से एक निवेदन दिया गया जिसके लिए केरल के हिंदी प्रचारक उनके आभारी हैं।
अधिवक्ता मधु. बी. ने अनेक पाठ्य पुस्तकों का सम्पादन करने के अलावा हिंदी में कई कृतियों की रचना भी की है। इनमें सरोजिनी नायडू की जीवनी, श्रीनारायण गुरु की जीवनी, केरल: एक झांकी (अनुवाद) आदि उल्लेखनीय हैं। वे हिंदी सेवा रत्न, विद्यावाचस्पति जैसे पुरस्कारों से भी नवाजे गए हैं। अधिवक्ता मधु. बी. केरल हिंदी प्रचार सभा को भारत की एक उत्कृष्ट हिंदी सेवा संस्था के रूप में परिणित करने के सर्वतोभाव से संलग्न हैं।
● प्रस्तुति: प्रो. डी. तंकप्पन नायर
जानकारी देने के लिए आभार।
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