चित्र गूगल सर्च इंजन से साभार |
सारा है उल्लास तुम्ही से..
मन का है विश्वास तुम्हीँ से!
मेरी जीवित आस तुम्ही से!
मुझ पर हो उपकार सरीखी
अम्मा के व्यवहार सरीखी
दीप तुम्ही हो दीवाली की
होली के त्यौहार सरीखी
सारा है उल्लास तुम्ही से!
फूलोँ के आकार सरीखी
लगती हो गुलनार सरीखी
उपवन की सब खुश्बू तुममेँ
तुम जूही कचनार सरीखी
सारा है मधुमास तुम्ही से!
सब यारोँ के यार सरीखी
तुम ताजे अखबार सरीखी
शीतल मंद हवाओँ सी तुम
सावन की बौछार सरीखी
मिटती है हर प्यास तुम्हीँ से!
सीता के परिहार सरीखी
गीता के उद्गार सरीखी
निर्भर मेरी दुनिया तुम पर
दिल की हो आधार सरीखी
होठोँ का है हास तुम्ही से!
ईश्वर के उपहार सरीखी
नइया की पतवार सरीखी
प्रेरक हो इन प्राणोँ की तुम
जीवन का हो सार सरीखी
मेरी हर इक साँस तुम्हीँ से!
वक्त गया सब लील..
है कुर्ते मेँ नील!
उसकी खुशियाँ उसके सपने
वक्त गया सब लील!
बिन पानी के मछली जैसे
तड़प रहा वह आज!
बिटिया अपनी व्याहे कैसे
और बचाये लाज!
संघर्षो मेँ सूख चली है
आँखोँ की भी झील।
शहर दिखाये ले जाकर तो
दो हजार होँ पास!
संगी साथी कौन दे रहा
नहीँ किसी से आस!
ठोक रही बीमारी माँ की
छाती मेँ बस कील।
कर्म भाग्य का नही संतुलन
बनी गरीबी गाज!
देखे जो लाचारी इसकी
ताक लगाये बाज!
व्यंग्य कसे मुस्काये अक्सर
खाँस खाँस कर चील।
फिर भी हिम्मत क्योँ हारे वो
जीना है हर हाल!
पटरी पर ला देगा गाड़ी
आते आते साल!
रोज रोज आशाएँ दौड़ेँ
जाने कितने मील।
संपर्क-
ए-259 संचार विहार कालोनी,आई.टी.आई मनकापुर, गोण्डा (उ.प्र)
पिन - 271308
फोन -08858001681
धीरज श्रीवास्तव
- जन्मतिथि- 01-09-1974
- माता- स्व.शान्ती देवी
- पिता- स्व.रमाशंकर लाल श्रीवास्तव
- शिक्षा - स्नातक
- प्रकाशन-
- 1- साझा संकलनों, क्रमश: मीठी सी तल्खियाँ भाग-1,भाग-3, एहसासोँ की पंखुड़ियाँ, एवं अन्तर्मन मेँ रचनाएँ प्रकाशित।
- 2-देशभर की विभिन्न पत्र पत्रिकाओँ एवं ई पत्राकाओँ मेँ रचनाएँ प्रकाशित।
- संप्रति –
- 1-लोकप्रिय वेब पत्रिका "साहित्य रागिनी" के संस्थापक एवं संरक्षक।
- 2-प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्था "साहित्य प्रोत्साहन संस्थान" मनकापुर (उप्र) संस्थापक व सचिव।
- वर्तमान पता- ए- 259 संचार विहार कालोनी, आई.टी आई मनकापुर,गोँडा।
- स्थाई पता- ग्राम व पोस्ट चिताही, जनपद- सिद्धार्थनगर (उ.प्र)
- फोन- 8858001681
- ईमेल- srivastavadheeraj89@gmail.com
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