कमला कृति

गुरुवार, 15 जून 2017

नवल शुक्ल की कविताएं


विनोद शाही की कलाकृति


घरों में प्रवेश के लिए


बहुत दिनों से कोई मेरे घर नहीं आया
तो मैं सबके घर गया
सबने कहा, कोई नहीं आता अब
कोई नहीं।
कुछ समय से बदल रही थी यह जगह
और साथ-साथ घर
बहुत सारी उपयोगी चीज़ें पड़ी थीं बदलने के लिए
बहुत सारी अनपेक्षित वस्तुएँ इन्तज़ार में थीं
घरों में प्रवेश के लिए।
हम किसी घर की जगह बाज़ार जाते
और वापस अपने घर लौट आते
फिर बहुत दिनों बाद
जब नहीं आता कोई
तो कुछ इसी तरह की बातें करते।



बहुत दिनों से


वह बहुत दिनों से प्रेम नहीं कर पा रही थी
मैं बहुत दिनों से झगड़ नहीं पा रहा था
मै बहुत दिनों से प्रेम करना चाहता था
वह बहुत दिनों से झगड़ना चाहती थी
इन दिनों हमारे लिए सबकी कमी का
रोज़ ध्यान आता था
आकांक्षाएँ हमारे चाहने पर भी नहीं मिलती थीं।
हम इतने शिथिल और सुस्त थे कि
थामे हुए एक कमज़ोर धागे को, देखते
अपने-अपने सिर पर बचे, झूलते खड़े थे।
दिनों-दिन बड़े होते शहर
और छोटे होते घर में
न रोते, न हँसते
आँखें खोले
सुबह के स्वप्न की तरह थे दुनिया को देखते।



प्यार चाहिए


प्यार चाहिए
कुछ नहीं चाहिए और।
स्वस्थ हैं कमाने-खाने के लिए हाथ
पचाने के लिए पेट
चलने के लिए पाँव
देखने-सुनने के लिए
खुली आँखें कान।
सहने, सतर्क रहने के लिए दोस्त
पढ़ने-सुनने के लिए
रेडियो,अख़बार
भांड
रखने के लिए मन--
बजाने के लिए पैसे।
रहने के लिए नहीं कोई मकान
अपन कतई नहीं महान।



आदमी की सुगंध


यह जो उथल-पुथल हो रही है
बाज़ार को छूट दी जा रही है
कम किए जा रहे हैं आग्नेयास्त्र
शान्ति के शब्द बोले जा रहे हैं
वह सांत्वना है सिर्फ़
थोड़े समय की राहत
बहुत अधिक दिखावट।
इस समय सबसे अधिक
बदहाल है दुनिया
सबसे अधिक खाली है पेट।
तमाम उन्नत तकनीक
और विश्व की विकास रपटों के
ये अभी भी, एक ही पल में
धूल, धुएँ और विकिरण से भर देंगे पृथ्वी
पृथ्वी अभी भी खाली है जल से
हरियाली से, अन्न से
आदमी की सुगन्ध से।

2 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (18-06-2017) को गला-काट प्रतियोगिता, प्रतियोगी बस एक | चर्चा अंक-2646 पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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