चित्र गूगल सर्च इंजन से साभार |
अधरों पर मुस्कान..
मन से जो भी भेंट दे, उसको करो कबूल |
काँटा मिले बबूल का, या गूलर का फूल ||
सागर से रखती नहीं, सींपी कोई आस |
एक स्वाति की बूँद से, बुझ जाती है प्यास ||
गिरा हुआ आकाश से, संभव है उठ जाये |
नजरों से गिर जाये जो, उसको कौन उठाये ||
सूरज बोला चाँद से, कभी किया है ग़ौर |
तेरा जलना और है, मेरा जलना और ||
प्यासे के जब आ गयी, अधरों पर मुस्कान |
पानी-पानी हो गया, सारा रेगिस्तान ||
रातों को दिन कह रहा, दिन को कहता रात |
जितना ऊँचा आदमी, उतनी नींची बात ||
जब तक अच्छा भाग्य है, ढके हुये है पाप |
भेद खुला हो जायेंगे, पल में नंगे आप ||
बहुदा छोटी वस्तु भी, संकट का हल होय |
डूबन हारे के लिये, तिनका सम्बल होय ||
ढाई आखर छोड़ जब, पढ़ते रहे किताब |
मन में उठे सवाल का, कैसे मिले जवाब ||
तुम्हें मुबारक हो महल, तुम्हें मुबारक ताज |
हम फ़क़ीर हैं ‘क़म्बरी’, करें दिलों पर राज ||
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