अवधेश मिश्र की कलाकृति |
कैसा यह संसार..
समझ न पाया आज तक, होरी है मतिमंद।
महाजनों ने हर तरफ,बिछा दिये हैं फंद।।
निरपराध धनिया खड़ा, कौन करेगा माफ़।
है धनिकों के पास में, बिका हुआ इन्साफ।।
सुना रहा है आजकल, वही खबर अखवार।
लूट,क़त्ल,धोखाधड़ी, घोटाले,व्यभिचार।।
जीवन के इस गाँव में, ठीक नहीं आसार।
मुखिया के संग हर घडी, गुंडे हैं दो-चार।।
ठगी रह गयी द्रोपदी, टूट गया विश्वास।
संरक्षण कब मिल सका,अपनों के भी पास।।
समझा सकी न झोंपड़ी, अपना गहन विषाद।
मन की भाषा और थी,और हुआ अनुवाद।।
समझा वह अच्छी तरह, कैसा यह संसार।
फिरता रहता आजकल, लेकर शब्द उधार।।
आशाएं धूमिल हुईं, सपने हुए उदास।
सब के द्वारे बंद हैं, जाएँ किसके पास।।
मंहगाई के दौर में, सरल नहीं है राह।
जीवन नैया डोलती,दुःख की नदी अथाह।।
मौन खड़े हैं आजकल, मीरा,सूर,कबीर।
लोगों को सुख दे रही, आज पराई पीर।।
कैसे झेले आदमी, मंहगाई की मार।
सूख रहे है द्वार पर, सपने हरसिगार।।
छूएगी किस शिखर को, मंहगाई इस साल।
खाई में जनता गिरी,रोटी मिले न दाल।।
जीवन यापन के लिए, कोशिश हुईं तमाम।
पेट,हाथ खाली रहे,मिला बन कोई काम।।
खाली ,खाली मन मिला, सूने सूने नैन।
दुविधाएं मेहमान थीं, गाँव बहुत बेचैन।।
फसी भंवर में जिंदगी, हुए ठहाके मौन।
दरवाजों पर बेबशी,टांग रहा है कौन।।
इस मायावी जगत में, सीखा उसने ज्ञान।
बिना किये लटका गया,कंधे पर अहसान।।
महानगर या गाँव हो,एक सरीखे लोग।
परम्पराएँ भूल कर,भोग रहे है भोग।।
त्रिलोक सिंह ठकुरेला
बंगला संख्या-99
रेलवे चिकित्सालय के सामने
आबू रोड-307026
( राजस्थान )
मो-946071426
आबू रोड-307026
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त्रिलोक सिंह ठकुरेला
- शैक्षणिक उपलब्धियां-विद्युत अभियांत्रिकी में डिप्लोमा
- पद-रेलवे में इंजीनियर
- प्रकाशन-नया सवेरा (बाल-साहित्य)
- -काव्यगंधा (कुण्डलिया संग्रह)
- -आधुनिक हिन्दी लघुकथाएँ (लघुकथा संकलन)
- -कुण्डलिया छंद के सात हस्ताक्षर (कुण्डलिया संकलन)
- -कुण्डलिया कानन (कुण्डलिया संकलन)
- सम्मेलनों/ कार्यशालाओं में प्रतिभागिता-कतिपय सम्मेलनों में प्रतिभागिता
- सम्मान/पुरस्कार-राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर (राजस्थान) द्वारा शम्भूदयाल सक्सेना बाल- साहित्य पुरस्कार
- पंजाब कला साहित्य अकादमी,जालंधर (पंजाब) द्वारा 'विशेष अकादमी पुरस्कार '
- विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ,गांधीनगर (बिहार) द्वारा विद्या वाचस्पति
- हिन्दी साहित्य सम्मलेन,प्रयाग द्वारा 'वाग्विदाम्बर सम्मान'
- निराला साहित्य एवं संस्कृति संस्थान,बस्ती द्वारा 'राष्ट्रीय साहित्य गौरव सम्मान'
- हिन्दी भाषा साहित्य परिषद,खगड़िया (बिहार) द्वारा 'स्वर्ण सम्मान'.साथ ही अन्य अनेक सम्मान
- अन्य प्रासंगिक जानकारी-कुण्डलिया छंद के उन्नयन, विकास और पुनर्स्थापना हेतु कृतसंकल्प एवं समर्पित
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जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद्..
हटाएंबहुत सुंदर ।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया..
जवाब देंहटाएंati sundar waaah ..
जवाब देंहटाएंसफल रहा मानव दिल का "50 CC कृत्रिम दिल " से प्रत्यारोपण !
जवाब देंहटाएंसामजिक हालातो को दर्शाते बढ़िया दोहे !