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चित्र गूगल सर्च इंजन से साभार |
तुम्हे लौटा लाएगा..
मैं जनता हूँ
तुम्हे लौटा लाएगा
एक दिन
मेरा प्रेम
तुम्हे लौटा लाएंगे
मेरे हाथ के
लिखे खत
तुम्हे लौटा लाएंगे
मेरी आँख से
झरते अश्रु
तुम्हे लौटा लाएंगी
हरसिंगार की कलियाँ
मेरे घर की
मेहंदी की महक
तुम्हे लौटा लायंगी
तुम्हारी गलियों में बहती हवा
मेरी अटारी से उड़ती पतंग
तुम्हे लौटा लाएंगे
तुम्हारी आँखों में
बसते मेरे ख्वाब
तुम लौट आओगी
इसलिए नहीं कि
मै करता हूँ तुम्हे प्रेम
इसलिए
कि मैं प्रियतम हूँ तुम्हारा।
पहेली
मैने ख्वाबो में
ख्यालो में
लिखी हैं–अनगिनत नज़्में
होठों पे,
रुखसार और कांधो पे,
कमर और स्तनों पे
पिंडलियाँ और नितम्बों पे
चमकते हुए पाँव पे
मेरी लिखी हुई
नज़्म का
हर्फ़–हर्फ़ पढा है उसने
मेरे साथ
कभी मेरे ख्वाबो में आकर
कभी मुझे
ख्वाबो में बुलाकर
जानती हो
फिर मैं उसे
समझ नहीं पाता
नदी सी आँखों वाली
जो तुम्हारी सहेली है
मेरे लिए वो
तुमसे भी बड़ी पहेली है।
सुधीर मौर्य ‘सुधीर‘
- जन्म-01/11/1979, कानपुर
- शिक्षा-अभियांत्रिकी में डिप्लोमा, इतिहास और दर्शन में स्नातक, प्रबंधन में पोस्ट डिप्लोमा.
- सम्प्रति–इंजिनियर, और स्वतंत्र लेखन.
- कृतियाँ :‘आह’ (ग़ज़ल संग्रह),‘लम्स’ (ग़ज़ल और नज़्म संग्रह), ‘हो न हो (नज़्मसंग्रह), ‘अधूरे पंख'(कहानी संग्रह) ‘एक गली कानपुर की’ (उपन्यास), किस्से संकट प्रसाद के (व्यंग्यउपन्यास), अमलताश के फूल (उपन्यास), बुद्ध से संवाद (काव्यखंड)- प्रकाशाधीन, देवलदेवी: एक संघर्ष गाथा (ऐतहासिक उपन्यास ), क़र्ज़ और अन्य कहानिया (कहानी संग्रह)
- पत्र-पत्रिकायों में प्रकाशन- खुबसूरत अंदाज़, अभिनव प्रयास, सोच-विचार, युग्वंशिका,कादम्बनी, बुद्ध्भूमि, अविराम,लोकसत्य, गांडीव, उत्कर्ष मेल, जनहितइंडिया, शिवम्, सत्यम ब्यूरेट, अखिलविश्व पत्रिका, रुबरु दुनिया आदि में.
- वेब प्रकाशन–गद्यकोश, स्वर्गविभा, काव्यांचल, इंस्टेंट खबर, बोलोजी, भड़ास, हिमधारा, जनहित इंडिया, परफेक्ट खबर, वटवृक्ष, देशबंधु, अखिलविश्व पत्रिका, प्रवक्ता, नाव्या, प्रवासी दुनिआ, रचनाकार, अपनी माटी, जनज्वार, आधी आबादी, अविराम
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