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चित्र गूगल सर्च इंजन से साभार |
मेरा आँगन रोज सौगात देता है..
न कोई मात देता है, न कोई घात देता है,
मुझे घर का मेरा आँगन,रोज सौगात देता है।
महल पत्थर का हो या हो ,घरौंदा ईंट माटी का,
मगर आँगन हर एक घर का, चाँदनी रात देता है ।
चतुर्दिक फैलतीं सुरभित, सुखद, शीतल हवायें जब,
मधुर संगीत मन में छेड़कर, आलाप देता है।
पसारे पंख बादल जब, उड़े जाते दिगंतों तक,
बिठा आगोश में अपने, नये जज्बात देता है।
सजी बारात तारों की,चाँद दूल्हा ठुनकता है,
सजा आकाश-गंगा नभ, खुशी,उल्लास देता है।
आकाश छूना चाहती हूँ..
कवि-हृदय हूं कल्पना के पंख लेकर
दूर तक आकाश छूना चाहती हूँ ।
नफरत ओ,आतंक की दूषित नदीसे
ऊबकर उस पार जाना चाहती हूँ ।
मैं रिवाजों,रूढियों की बेड़ि़यों से
मुक्त हो स्वच्छंद उड़ना चाहती हूँ।
दर्द की नगरी में भूखी प्राण गाथा
फलक पर दिल के मैं लिखना चाहती हूँ ।
बस्तियां जो फूस की जलने लगीं हैं
नेह के बादल घिरें मैं चाहती हूँ ।
शुष्क शाखों बीच नभ में चाँद दिखता
अक्स वो दिल में बसाना चाहती हूँ ।
हो न पाई साध पूरी इस हृदय की
जन्म मैं सौ बार लेना चाहती हूँ ।
अन्तर की उमड़ती 'नदी'
अन्तर की उमड़ती 'नदी'
हमारे तुम्हारे अस्तित्व- तट से
टकरा कर और भी छलकी थी
वे पल भी जिये हैं हमने
जब, सावन की बौराई जलधार में
तन-मन डूबा था ।
कोयल की कूक औ
पपीहे की 'पी कहाँ'
हमारी ही तो अनुकृति लगे थे,
कभी समाया था,
अन्तर में अनन्त आकाश
और कभी सागर को भी
चुनौती देने लगा
ये बौराया 'मन'
तब हमें मालूम नहीं था
नदी सूखती है भी है
अन्तर का आकाश
सिमटने लगता है
और सागर का कोप
प्रलय का कारण बन जाता है।
आकाश ! तुम कितने खाली हो?
आकाश ! तुम कितने खाली हो ?
शून्य,स्तब्ध,निर्विकार
एक अबोध बालक के
हृदय-पटल की तरह ।

कहीं से आता है-
बादलों का एक
मखमली 'रेला'
विभिन्न आकृतियाँ बनाता
मनमोहक अठखेलियाँ करता ,
चंचल,गतिशील,प्रवहवान ।
पल में विलीन होती -
ये आकृतियाँ,बताती हें-
साकार में निराकार का रहस्य
फिर अपनी सुखद अनुभूतियों को
बूँद-बूँद में अमृत सा बरसाकर,
चला जाता है ,विस्मृति की गोद में।
तुम फिर खाली के खाली रह जाते हो
नये बादल की प्रतीक्षा में,
शून्य,स्तब्ध,निर्विकार।
डॉ० मंजु लता श्रीवास्तव
(एसोसिएट प्रोफेसर,
डी०एस०एन०पी०जी० कालेज,
उन्नाव-उ०प्र०)
डी-108, श्याम नगर
कानपुर (उ०प्र०)
मो०09161999400
सुबोध जी बहुत अच्छा काम कर रहे हैं आप बधाई
जवाब देंहटाएंआभार आपका स्नेह के लिए..
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