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लड़की : चार चित्र
(एक)
निबिया के पेड़ तले
धूल भरे हाथ- पांव
घुरहू, गोबर्धन, जनार्दन के घेरे में
गर्दन पर हाथ धर
पूछे बन रानी
बोल मेरे गुइयाँ कित्ता पानी !
( दो )
दबे पांव भाग गया
झंझट में पाग गया
आंगन में खीच गया बंदिश की रेखा
खोई- खोई आँखों से
दर्पण का प्रतिविम्ब
बार- बार मुनियाँ से
पूछे पहेली-
बैरी था बचपन या
है ये जवानी
बोल मेरे गुइयाँ कित्ता पानी !
( तीन)
घर की रसोई में
आटा सने हुए हाथ
धुन्धुआता चूल्हा ओंर
अम्मा की सीख -डांट
यौवन की देहरी पर
जैसे ही पांव धरी
गुड्डा और गुडिया की भूली कहानी
बोल मेरे गुइयाँ कित्ता पानी !
( चार)
अम्मा और बापू की
छाती की बोझ हुई
भाग - दौड़ / दौड़ - धूप
कर्जा- दहेज हुई
नये - नये रिश्तों से
नया - नया दर्द मिला
सास कभी नन्द कभी देवर की बोली
कच्ची उमरिया
बुजुर्गों सी बानी
बोल मेरे गुइयाँ कित्ता पानी !
यह मेरा हिंदुस्तान नहीं (गीत)
यहाँ नाचती मौत सडक पर,
राम, कृष्ण,रहमान नहीं है ।
नहीं-नहीं यह मेरा हिंदुस्तान नहीं है ।।
यहाँ चंद सिक्कों पर ही
सच्चाई बेचीं जाती है।
द्वेष- दम्भ के बांटों से
अच्छाई नापी जाती है ।
गिरवी मर्यादा है
दौलत के पीछे इमान नही है ।
नही-नही--------है।।1।।
यहाँ नही एकलव्य अंगूठा
काट दक्षिणा देने वाला ।
द्रोणाचार्य बहुत हैं
शंकर नही गरल पी लेने वाला।
पत्थर को भी नारी
कर देने वाला भगवान नही है।
नही-नही--------है।।2।।
रोटी के पीछे बाजारों में
इज्जत बिकते देखा,
जिन्दों की क्या बात कहें
मुर्दों को भी रोते देखा,
कफ़न बेच खाने वाले
कैसे कह दें शैतान नहीं हैं।
नहीं-नहीं--------है।।3।।
मंत्रोच्चारण शंख नहीं
गुंजते है अब देवालय में,
यहां पाप संगीत गूंजता है
मस्जिद शिवालय में,
मुर्झा गए फूल आस्था के
पत्थर में भगवान नहीं है
नहीं-नहीं--------है।।4।।
एक डाल पर बैठ के
आपस में तोता मैना लड़ते,
मंजिल एक मगर विपरीत
दिशा में राही हैं बढ़ते,
रिस्ते कच्चे धागे हैं
कब टूट गए यह ध्यान नहीं है।
नहीं-नहीं--------है।।5।।
बनी आज अनुभूति
वेदना अनदेखी राहें सारी,
संयम, संस्कार अब तो
रह गया कल्पना ही न्यारी,
वशीभूत दानवता के,
मोहन को गीता ज्ञान नहीं है।
नहीं-नहीं--------है।।6।।
मोहन सिंह कुशवाहा
- जन्म- 30 सितम्बर 1955,
- ग्राम पोस्ट-पकड़ी जनपद- गाजीपुर ( उ.प्र.)
- शिक्षा -एम्. ए. ( हिंदी)
- उपलब्धियां - हिंदी कवि -सम्मेलनों में ओज-गीत का प्रतिष्ठ कवि, आकाशवाणी तथा दूरदर्शन से कविता पाठ। देश के प्रतिनिधि पत्र-पत्रिकाओं में कविता, कहानी, लेख तथा बाल -कथा प्रकाशित। "कानपुर के कवि" तथा "बारूद के ढेर पर मुस्कराते फूल" आदि काव्य संग्रहों में सहयोगी कवि। विभिन्न संस्थाओं द्वारा सम्मानित।
- प्रकाशन-"कलम उठाने दो" (प्रेस में) ।
- सम्प्रति -आयुध निर्माणी कानपुर में क.का.प्रबन्धक पद पर कार्यरत।
- संपर्क-FT -173 अर्मापुर,कानपुर ( उ.प्र.)-208009
- मो. 09452527858
- ईमेल- mohansinghkushwaha999@gmail.co
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