कमला कृति

शनिवार, 8 नवंबर 2014

लक्ष्मण रामानुज लडीवाला की कविता


विनोद शाही की कलाकृति


आग्रही नयी पीढ़ी



सामाजिक सुरक्षा को तरसे
एकल परिवारों में जो पले,
आर्थिक सुरक्षा और
स्नेह भाव मिले -
संयुक्त परिवार की ही
छाया तले |
घर परिवार में
हर सदस्य का सीर
बुजुर्ग भी होते भागीदार,
बच्चो की परवरिश हो,
संस्कार या व्यवहार |

अभिभावक माता पिता
समय का अभाव जताकर
नहीं बने अपराध बोध के शिकार,
संयुक्त परिवार
तभी रहे और चले |
प्रतिस्पर्था से भरी
सुरसा सामान दौड़ती
भागमभाग जिन्दगी,
अवसाद भरी तनाव के
भार से लदी
समयाभाव जताती
बेलगाम जिन्दगी |

जड़ों की ओर लोटने को मजबूर
आग्रही नयी पीढ़ी,
पाने को पारिवारिक स्नहे
और सुरक्षा की सौगात,
तभी संभव जब
हो ह्रदय विशाल,
बड़े भी समझे और देवे मान
छोटों की भावनाओ का हो भान |
छोड़कर अहम भाव
रिश्ते बने बेहतर
तभी सौहार्द बढे
यही जीवन तत्व है
जीवन का सार,
तभी बनेगा स्वर्ग सा
यह सुन्दर संसार ||



लक्ष्मण रामानुज लडीवाला 

                                                                     

  • जन्म तिथि- 19 नवंबर 1945 स्थान - जयपुर (राजस्थान) 
  • शिक्षा- M.Com. Dip cost & works accountancy, C.S (Inter)
  • राजस्थान विधानसभा में लेखाकार पद से 2003 में सेवा निवृत।
  • साहित्यिक गतिविधिया - राजस्थान पत्रिका,राष्ट्रदूत दैनिक,"बाबूजी का भारत मित्र"एवं कई वेब पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित।अग्रगामी'(मासिक)जयपुर  
  • का 1975 से 1978 तक सह- संपादक,एवं निराला समाज (त्रैमासिक) का सम्पादन दायित्व निर्वहन |
  • सम्प्रति - openbooksonline,एवं कविता लोक के सदस्य के रूप में नियमितप्रस्तुतीकरण 
  • सम्पर्क-165, गंगोत्री नगर, गोपालपुरा बाईपास, टोंक रोड़, जयपुर (राज.) 302018
  • ई-मेल : lpladiwala@gmail.com  संपर्क : mob 09314249608


1 टिप्पणी: