चित्र गूगल सर्च इंजन से साभार |
सुधियों के झुरमुट ना होते..
सुधियों के झुरमुट ना होते-
तुम फिर मेरे पास न होते
मुग्ध पलों के पृष्ठ बांचने-
आये सावन के साक्षी घन
खिड़की से कमरे में आकर-
बूंदें दिखलातीं अपनापन
खुशबू के आभास न होते-
तुम फिर मेरे पास न होते
चीड़ वनों में घाटी गायें-
पर्वत श्रोता बन जाते हैं
झरनों की नूपुर धुन सुनकर-
इंद्रधनुष भी तन जाते हैं
मौसम के ये रास न होते-
तुम फिर मेरे पास न होते
बहुत तेज है धार नदी की-
पल-पल ढहती रहीं कगारें
जीवन के इस कठिन मोड़ पर-
यादें लाती रहीं बहारें
छवियों के जो दास न होते-
तुम फिर मेरे पास न होते
गंध बिखेरी जब से तुमने..
गंध बिखेरी जब से तुमने
एकाकी मेरे जीवन में,
महक उठा है कोना-कोना
सूने-सूने घर आंगन में
भूल नहीं पाया मैं तेरे
रतनारे नयनों की भाषा
गंधों के कोमल वचनों ने
बदली है जीवन परिभाषा
जब से एक दिशा दी तुमने
भटक रही निस्सीम तृषा को-
रोम-रोम रस नेह नहाये,
छलक रहे घट अंतरमन में
महक उठा है........
अवरोधों से रुकी हुई थी
जलधारा गतिमान हुई है
छुये अनछुये सभी तटों की
एक नयी पहचान हुई है
मुक्त किया है जब से तुमने
अभिशापित बंधन से मुझको-
सतरंगी किरनों के रथ पर
भोर खड़ी है अभिनंदन में
महक उठा है ........
तुम अचानक आ गये..
तुम अचानक आ गये मधुमास में
फागुनी रंग छा गये आकाश में
प्रेम रस की चितवनी पिचकारियां-
प्राण-वन में खिल उठीं फुलवारियां,
तन हुआ बेसुध, मगन मन हो गया-
स्वप्न रूठे गा उठे भुजपाश में
तुम अचानक...
दिन सुनहरी धूप का झरना हुआ
सांझ मंदिर दीप का धरना हुआ,
राम जाने हर घड़ी क्यूं लग रहा-
ये गगन जैसे घिरा हो प्यास में
तुम अचानक...
रजनीगंधा महक रही है..
तुम नज़दीक नहीं हो फिर भी-
रजनीगंधा महक रही है
महका गया जनम ये मेरा-
तेरे तन का मादक चंदन
गीतों की छुअने जीने को-
कस्तूरी मृग सा भागे मन
बुनता हूं यादों के सपने
और चांदनी दहक रही है
रजनीगंधा...
अनबुझ एक पहेली तेरा-
मौन कि मेरे होंठ मुखर हैं
रूठो तुम रूठोगे कितना-
मनुहारों के कई शिखर हैं
शायद टूट गया हठ तेरा-
हवा मदिर क्यों बहक रही है
रजनीगंधा...
लोकेश शुक्ल
12/116, ग्वालटोली, कानपुरमो. 9305651685
ईमेल:lokeshshk@gmail.com
लोकेश शुक्ल
- जन्म- 19 जुलाई 1949
- शिक्षा- बी. एससी एम.ए
- कृति- गीत संकलन 'मनुहारों के शिखर' (अंतिम चरण में)
- अन्य प्रकाशन- कानपुर गीत दशक-1 में दस गीत प्रकाशित, अखिल भारतीय गीत संकलन 'गीत वसुधा' में पांच गीत प्रकाशित, 'कानपुर के कवि' में रचनायें संकलित, देश की विभिन्न प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं गीत-ग़ज़ल व दोहे,मुक्तक समय-समय पर प्रकाशित
- सम्मान- उत्तर प्रदेश के राज्यपाल से सम्मानित, बिहार में ' काका बिहारी शिखर सम्मान ' उत्तर प्रदेश मर्चेंट चैम्बर के अध्यक्ष से 'कानपुर की आवाज़' का सम्मान, अलावा इसके देश व कानपुर के विभिन्न संगठनों से पुरस्कृत एवं सम्मानित
- प्रसारण- सब टीवी के दबंग कार्यक्रम में काव्य पाठ, आकाशवाणी व दूरदर्शन से काव्य पाठ
- संप्रति- पत्रकार, दैनिक जागरण से सम्पादक के पद से सेवानिवृत्त
- सम्पर्क-12/116, ग्वालटोली, कानपुर
- मो. 9305651685
- ईमेल:lokeshshk@gmail.com
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