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चित्र गूगल सर्च इंजन से साभार |
उतरा है मधुमास..
टांग अलगनी धूप को उतरा है मधुमास,
बौराई हर प्रीत है बेलगाम है प्यास
फागुन देने आ गया फिर उनका संदेश,
भोर महकती डोलती सांझ सॅवारे केश
मौसम ने फैला दिया खुशबू संजाल,
अपने प्रिय की याद में सभी हुये बेहाल
बने चितेरे घूमते ये मेघों की शान,
एक-एक छवि पर तुले मर्यादा की आन
तू बैठा उस छोर पर मैं बैठा इस छोर,
तेरा मेरा प्यार है जैसै चांद चकोर
राधा के इस देश में प्रेम बिक रहा हाट
अपनी संस्कृति को युवा जला रहा हर घाट
डाल-डाल पर हो गई कागों की अब भीड़,
सोन चिरइया सोचती कहां बनायें नीड़
लोकतंत्र की आड़ में चलता कुर्सी तंत्र,
भारत की ये त्रासदी जब से हुआ स्वतंत्र
जंगल राज है देश में लूट मची चहुॅ ओर,
रुपया कोमा में पड़ा डाॅलर मारे जोर
करते बंदरबांट जब ये सत्ता के लोग,
हित हो कैसे देश का जहां लगा यह रोग
चैनल-चैनल खुल गईं प्रवचन की दूकान,
कोई बेचे भक्ति को औ' कोई भगवान
बौराई हर प्रीत है बेलगाम है प्यास
फागुन देने आ गया फिर उनका संदेश,
भोर महकती डोलती सांझ सॅवारे केश
मौसम ने फैला दिया खुशबू संजाल,
अपने प्रिय की याद में सभी हुये बेहाल
बने चितेरे घूमते ये मेघों की शान,
एक-एक छवि पर तुले मर्यादा की आन
तू बैठा उस छोर पर मैं बैठा इस छोर,
तेरा मेरा प्यार है जैसै चांद चकोर
राधा के इस देश में प्रेम बिक रहा हाट
अपनी संस्कृति को युवा जला रहा हर घाट
डाल-डाल पर हो गई कागों की अब भीड़,
सोन चिरइया सोचती कहां बनायें नीड़

भारत की ये त्रासदी जब से हुआ स्वतंत्र
जंगल राज है देश में लूट मची चहुॅ ओर,
रुपया कोमा में पड़ा डाॅलर मारे जोर
करते बंदरबांट जब ये सत्ता के लोग,
हित हो कैसे देश का जहां लगा यह रोग
चैनल-चैनल खुल गईं प्रवचन की दूकान,
कोई बेचे भक्ति को औ' कोई भगवान
लोकेश शुक्ल
12/116 ग्वालटोली, कानपुर
मो. 9305651685
ईमेल:lokeshshk@gmail.com
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