चित्र गूगल सर्च इंजन से साभार |
आया मौसम प्रेम का..
फाल्गुन की रुत में बहे ,शीतल मंद बयार।
गुलशन-गुलशन देखिये छाई ग़ज़ब बहार।।
आया मौसम प्रेम का, बासंती मधुमास।
अंतस में फिर जागती, नन्ही सी इकआस।।
बच्चे हैं परदेस में,सूना है घरबार।
बूढी आँखों से बहे,आँसू की जलधार।।
ग़म के सहरा में हुई,खुशियों की बौछार।
मन उपवन में खिल उठे,फिर से हरसिंगार।।
पिचकारी भर कर रहा मैं तुमसे मनुहार।
गौरी थोडा खोल दे चितवन का तू द्वार।।
होली के त्यौहार में,छाई ख़ुशी उमंग।
भोले का सब नाम ले छान रहे हैं भंग।।
होली के इस पर्व पर दिल में भर उजियार।
भाईचारा प्रेम ही जीवन का आधार।।
बीता वक़्त न लौटता हर लम्हा है ख़ास।
जीवन का आनंद लो गिनती की हैं सांस।।
अजय अज्ञात
मकान नंबर-37,
सैक्टर 31, फरीदाबाद।
ईमेल-ajayagyat@gmail.com
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