चित्र गूगल सर्च इंजन से साभार |
दिन सुहाने आ गये..
खिल उठीं सरसों की कलियाँ दिन सुहाने आ गये
आ गया फागुन कि हर बाली में दाने आ गये
फूल महुवे के झरे मौसम शराबी हो गया
आम के बाग़ों में खुशबू के ख़ज़ाने आ गये
आ गया फागुन मेरे कमरे के रौशनदान में
चन्द गौरय्यों के जोड़े घर बसाने आ गये
नाचती-गाती हुई निकलीं सड़क पर टोलियाँ
चन्द चेहरे खिड़कियों में मुस्कुराने आ गये
एकता सदभावना के शे'र लेकर ‘क़म्बरी’
रंग की महफ़िल में लो होली मनाने आ गये
अंसार क़म्बरी
‘ज़फ़र मंजिल’, 11/116,
ग्वालटोली, कानपूर–208001
मो - 09450938629
ईमेल : ansarqumbari@gmail.com
अच्छा शब्द संयोजन भाव व विषय वस्तु की तारतम्यता अखरती सी ।अच्छा प्रयास ।बधाई ।
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